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Up Kiran, Digital Desk: अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने ईरान से पेट्रोलियम उत्पाद खरीदने के आरोप में छह भारतीय कंपनियों और चार व्यक्तियों पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं। यह कार्रवाई ईरान के पेट्रोलियम व्यापार पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्लंघन करने के आरोप में की गई है। इन प्रतिबंधों के तहत, इन कंपनियों और व्यक्तियों की अमेरिका में मौजूद किसी भी संपत्ति को फ्रीज कर दिया जाएगा और उनके साथ किसी भी तरह के लेनदेन पर रोक लगा दी जाएगी।
यह कदम अमेरिका की उस नीति का हिस्सा है जिसके तहत वह ईरान को आतंकवादी समूहों और अस्थिर करने वाली गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए मिलने वाले धन को रोकना चाहता है। ट्रेजरी विभाग का कहना है कि ईरान के पेट्रोलियम और पेट्रोकेमिकल व्यापार से मिलने वाला राजस्व सीधे तौर पर ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कोर (IRGC) और उसके प्रॉक्सी समूहों को फंड करता है, जो अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा हितों के लिए खतरा हैं।
जिन भारतीय कंपनियों पर ये प्रतिबंध लगाए गए हैं, उनमें मुख्य रूप से 'तिब्बत ऑयल प्राइवेट लिमिटेड' (Tibet Oil Pvt Ltd) शामिल है, जिसके निदेशक संदीप कुमार और थिरुनावुक्कारसु हैं। इसके अलावा, 'गणेश स्टेट बैंक ऑफ इंडिया' (Ganesh State Bank of India) भी इस सूची में है, जिसके निदेशक विनोद कुमार और रितेश अग्रवाल हैं। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह नाम भारतीय स्टेट बैंक (State Bank of India) से अलग है और किसी निजी संस्था को संदर्भित करता है। यूएई स्थित 'पेट्रोलियम ट्रेडिंग एफजेडसी' (Petroleum Trading FZC) पर भी प्रतिबंध लगाए गए हैं, जिसके निदेशक लक्ष्मी नारायण हैं। यह कंपनी भी भारतीय मूल से जुड़ी बताई गई है। ट्रेजरी विभाग ने 'तेनज़िन पेट्रोकेमिकल्स' (Tenzin Petrochemicals), 'तिब्बतन पेट्रोलियम' (Tibetan Petroleum) और 'तिब्बत पेट्रोकेम' (Tibet Petrochem) को भी नामित किया है, जो 'तिब्बत ऑयल' से संबंधित कंपनियाँ हो सकती हैं।
इन प्रतिबंधों का सीधा अर्थ है कि अमेरिका के अधिकार क्षेत्र में आने वाली इन कंपनियों और व्यक्तियों की सभी संपत्तियों और हितों को तुरंत जब्त कर लिया जाएगा। साथ ही, अमेरिकी नागरिकों या अमेरिका में रहने वाले लोगों को इनके साथ किसी भी तरह के वित्तीय लेनदेन की अनुमति नहीं होगी। यह कदम इन संस्थाओं के लिए वैश्विक वित्तीय प्रणाली में काम करना बेहद मुश्किल बना देगा और इनकी आर्थिक गतिविधियों पर गहरा नकारात्मक प्रभाव डालेगा।
अमेरिकी सरकार लगातार ईरान पर दबाव बनाए हुए है ताकि वह अपने परमाणु कार्यक्रम और क्षेत्रीय गतिविधियों पर नियंत्रण रखे। इन प्रतिबंधों का उद्देश्य उन सभी चैनलों को बंद करना है जिनके माध्यम से ईरान अपने पेट्रोलियम उत्पादों को बेचकर राजस्व अर्जित करता है। भारत और ईरान के बीच पारंपरिक रूप से अच्छे संबंध रहे हैं, लेकिन अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते भारतीय कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय व्यापार में काफी सावधानी बरतनी पड़ रही है।
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