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Up Kiran, Digital Desk: जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। अब देश में चार की बजाय सिर्फ दो जीएसटी स्लैब रहेंगे। इस बदलाव का असर रोजमर्रा की चीजों के साथ-साथ छोटी गाड़ियों की कीमतों पर भी पड़ा है। कई गाड़ियों पर ग्राहकों को 1.5 लाख रुपये से अधिक का फायदा होगा। हालांकि, चर्चा का बड़ा मुद्दा यह है कि क्या पेट्रोल-डीजल को भी जीएसटी के दायरे में लाया जाएगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्पष्ट किया है कि केंद्र सरकार इसके लिए तैयार है, लेकिन यह राज्यों की सहमति पर निर्भर करता है। जब जीएसटी लागू हुआ था तब पेट्रोल-डीजल को इसमें शामिल करने की योजना थी, लेकिन राज्यों ने इसका विरोध किया।
राज्यों के विरोध की मुख्य वजह उनकी कमाई है। पेट्रोल और डीजल पर टैक्स राज्यों की आय का सबसे बड़ा स्रोत है। केंद्र सरकार एक्साइज ड्यूटी लगाती है, जबकि राज्य अलग-अलग दरों पर वैट वसूलते हैं। यही कारण है कि देशभर में पेट्रोल-डीजल की कीमतें अलग-अलग रहती हैं। अगर इन्हें जीएसटी में शामिल कर दिया गया तो राज्यों का मुनाफा घट जाएगा और पूरे देश में एक ही रेट पर पेट्रोल-डीजल उपलब्ध होगा।
फिलहाल पेट्रोल और डीजल पर 50% से ज्यादा टैक्स लगता है। यानी 100 रुपये में डलवाए गए पेट्रोल का आधे से ज्यादा हिस्सा टैक्स के रूप में केंद्र और राज्य सरकारों के पास जाता है। कुछ समय पहले केंद्र ने एक्साइज ड्यूटी दो रुपये प्रति लीटर बढ़ाई थी। वर्तमान में पेट्रोल पर करीब 12 रुपये और डीजल पर 10 रुपये प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी वसूली जाती है। राज्यों का वैट 20% से 25% तक हो सकता है।
जानें कितने रुपए हो जाएंगे कम
अगर भविष्य में पेट्रोल-डीजल जीएसटी में आ गया तो आम जनता को बड़ी राहत मिलेगी। 18% स्लैब में डालने पर कीमतें 20-30 रुपये प्रति लीटर कम हो सकती हैं।
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