
Up Kiran, Digital Desk: केरल में आशा (ASHA - Accredited Social Health Activist) कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन 141वें दिन भी जारी है, और उन्होंने अब अपने आंदोलन को और तेज करने का ऐलान किया है। अपनी मांगों को लेकर लंबे समय से संघर्ष कर रही ये सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता अब सरकार पर और दबाव बनाने की तैयारी में हैं।
आशा कार्यकर्ता, जो भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की रीढ़ हैं, विशेषकर ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में, अपनी सेवाओं के लिए उचित मानदेय, नियमितीकरण और सामाजिक सुरक्षा लाभों की मांग कर रही हैं। उन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, घर-घर जाकर सर्वेक्षण करने, जागरूकता फैलाने और मरीजों को सहायता प्रदान करने में उनका योगदान अभूतपूर्व था।
उनके महत्वपूर्ण योगदान के बावजूद, उन्हें अक्सर कम वेतन मिलता है और उनके काम को स्वैच्छिक सेवा के रूप में देखा जाता है, जबकि यह एक पूर्णकालिक और अत्यधिक महत्वपूर्ण कार्य है। केरल में उनका विरोध प्रदर्शन इसी बात का प्रतीक है कि वे अपनी कार्य स्थितियों में सुधार और अपने अधिकारों को मान्यता दिलाने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं।
आगामी दिनों में आशा कार्यकर्ताओं के विरोध प्रदर्शनों में वृद्धि देखी जा सकती है, जिसमें संभवतः अनिश्चितकालीन हड़ताल या बड़े पैमाने पर धरने शामिल हो सकते हैं। इस कदम से राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं, विशेषकर ग्रामीण और प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल स्तर पर, गंभीर व्यवधान पैदा हो सकता है।
आशा कार्यकर्ताओं का यह लंबे समय से चला आ रहा आंदोलन सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। अब यह देखना होगा कि सरकार उनकी मांगों को कब और कैसे पूरा करती है, ताकि राज्य में स्वास्थ्य सेवाएं बिना किसी बाधा के सुचारु रूप से चलती रहें और इन समर्पित कार्यकर्ताओं को उनका वाजिब हक मिल सके।
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