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Up Kiran, Digital Desk: भारत के सांस्कृतिक कैलेंडर का सबसे लोकप्रिय पर्व गणेश महोत्सव आज से आरंभ हो रहा है। इस बार यह उत्सव 27 अगस्त से शुरू होकर 6 सितंबर को गणपति विसर्जन यानी अनंत चतुर्दशी तक चलेगा। दस दिनों तक देशभर में मंदिरों और घरों में बप्पा की आराधना होगी। मुंबई, पुणे, नागपुर जैसे महाराष्ट्र के बड़े शहरों से लेकर उत्तर भारत और दक्षिण भारत तक श्रद्धालु पूरे उत्साह और आस्था के साथ इस पर्व का स्वागत कर रहे हैं।

इस बार खास हैं मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार, गणेश चतुर्थी की तिथि 26 अगस्त दोपहर 1:53 बजे प्रारंभ हुई थी, जो 27 अगस्त दोपहर 3:43 बजे तक रहेगी। उदय तिथि को मानकर गणेशोत्सव 27 अगस्त से शुरू किया जा रहा है।

गणेश प्रतिमा स्थापना का पहला शुभ समय : सुबह 11:01 बजे से दोपहर 1:40 बजे तक

दूसरा अनुकूल समय : दोपहर 1:39 बजे से शाम 6:05 बजे तक

पूजन का सबसे श्रेष्ठ समय : 11:05 बजे से 1:40 बजे के बीच माना गया है।

इन मुहूर्तों में गणपति की स्थापना और पूजा को विशेष फलदायी बताया गया है।

पूजा की विधि और परंपरा

गणेश चतुर्थी पर परिवार और समाज मिलकर बप्पा को घर लाते हैं। घर के मंदिर या पूजा स्थल को साफ-सुथरा कर फूलों, रंगोली और सुंदर सजावटी वस्तुओं से सजाया जाता है। शुभ समय में भगवान गणेश की प्रतिमा चौकी पर लाल या पीला वस्त्र बिछाकर विराजमान की जाती है। प्रतिमा यदि मिट्टी, पीतल, कांस्य, लकड़ी या पत्थर की हो तो और भी शुभ माना जाता है।

पूजन की शुरुआत संकल्प से होती है, फिर मंत्रोच्चार के साथ गणेश जी का आह्वान किया जाता है। प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराने के बाद उन्हें पुष्प, वस्त्र और आभूषण पहनाए जाते हैं। बप्पा की आरती कर उन्हें मोदक और लड्डू का भोग लगाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गणेश जी को सबसे प्रिय मोदक है, जबकि लड्डू अर्पित करना भी बेहद शुभ माना जाता है। साथ ही दूर्वा घास और लाल फूल का विशेष महत्व होता है।