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Up Kiran, Digital Desk: उत्तर प्रदेश की सियासत में कभी दहाड़ने वाले सपा के कद्दावर नेता आजम खान और उनके बेटे पूर्व विधायक अब्दुल्ला आजम को मंगलवार को दोपहर करीब सवा तीन बजे उस वक्त करारा झटका लगा जब एमपी-एमएलए कोर्ट ने दो अलग-अलग पैनकार्ड बनवाने के छह साल पुराने मामले में दोनों को दोषी ठहराते हुए सात साल की सजा सुना दी। कोर्ट ने हरेक पर पचास हजार रुपये का जुर्माना भी ठोका। फैसला सुनते ही दोनों को हथकड़ी लगाकर न्यायिक हिरासत में ले लिया गया और उन्हें जिला जेल भेज दिया गया।

ये पूरा वाकया 2019 का है जब रामपुर शहर से मौजूदा भाजपा विधायक आकाश सक्सेना ने सिविल लाइंस थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। उनका दावा था कि अब्दुल्ला आजम ने दो अलग-अलग जन्मतिथि वाले प्रमाणपत्रों के आधार पर दो पैनकार्ड बनवाए और दोनों का इस्तेमाल भी किया। शिकायत में साफ तौर पर कहा गया था कि ये सब आजम खान के कहने पर हुआ। मामला दर्ज होने के बाद जांच चली और फिर चार्जशीट कोर्ट में दाखिल हुई।

लंबी सुनवाई के बाद दोनों पक्षों की दलीलें पूरी हो चुकी थीं। मंगलवार को फैसले के लिए आजम खान और अब्दुल्ला को सुबह से ही कोर्ट बुलाया गया था। दोपहर ढलते-ढलते कोर्ट रूम में सन्नाटा छा गया जब जज शोभित बंसल ने अपना फैसला पढ़ना शुरू किया। कुछ ही मिनटों में साफ हो गया कि आजम खान की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ने वाली हैं।

अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी कर रहे एडीजीसी संदीप सक्सेना ने बताया कि कोर्ट ने धोखाधड़ी और जालसाजी की कई धाराओं में दोनों को दोषी माना है। सजा सात साल की होने की वजह से जमानत के लिए अब दोनों को ऊपरी अदालत का दरवाजा खटखटाना होगा। रामपुर की सियासी गलियों में ये खबर जंगल की आग की तरह फैल गई। जहां एक तरफ भाजपा कार्यकर्ता जश्न मना रहे हैं वहीं सपा समर्थक सकते में हैं।

आजम खान पिछले कई सालों से अलग-अलग मुकदमों में उलझे हुए हैं। एक के बाद एक सजा ने उनकी सियासी ताकत को लगातार कमजोर किया है। अब ये नया फैसला उनके लिए और बड़ा झटका साबित हो सकता है। देखना ये है कि ऊपरी अदालत में ये मामला कितनी जल्दी राहत दिला पाता है या फिर रामपुर का ये पुराना शेर एक बार फिर लंबे वक्त तक सलाखों के पीछे रहेगा।