_1671916038.png)
Up Kiran, Digital Desk: बीते कुछ वर्षों से ईरान और अमेरिका के बीच परमाणु कार्यक्रम को लेकर टकराव गहराता जा रहा है। इसी तनावपूर्ण पृष्ठभूमि में 21 जून को अमेरिका ने ‘ऑपरेशन मिडनाइट हैमर’ नामक एक विशेष सैन्य मिशन को अंजाम दिया। इस कार्रवाई को शुरू में 'सफल' बताया गया था, लेकिन अब इसके नतीजे और इससे जुड़ी घटनाएं नए सवालों को जन्म दे रही हैं। खासकर एक B-2 स्टील्थ बॉम्बर के लापता होने की खबर ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है।
क्या हुआ था उस रात?
अमेरिकी वायुसेना ने इस मिशन के तहत दो अलग-अलग दस्ते बनाए थे। दोनों यूनिट्स ने मिसौरी स्थित व्हाइटमैन एयर फोर्स बेस से उड़ान भरी। एक यूनिट को प्रशांत महासागर की ओर रवाना किया गया, जिसका मकसद ईरान को भ्रमित करना था, जबकि दूसरी यूनिट—जिसमें सात B-2 बॉम्बर शामिल थे—सीधे ईरानी सीमा की ओर बढ़ी।
इन विमानों का निशाना था ईरान की दो प्रमुख परमाणु साइटें: फोर्डो और नतांज। साथ में उड़ान भर रहे ईंधन टैंकर और फाइटर जेट्स ने भी इस अभियान को समर्थन दिया। इन विमानों ने मिशन के दौरान कुल 14 GBU-57 बंकर बस्टर बम गिराए, जिनका उद्देश्य भूमिगत परमाणु ठिकानों को पूरी तरह नष्ट करना था।
सात लौटे, एक अब भी गायब
इस ऑपरेशन की समाप्ति के करीब 37 घंटे बाद सातों बॉम्बर सफलतापूर्वक अपने बेस पर लौट आए। लेकिन एक विमान—जो उस डिकॉय ग्रुप का हिस्सा था जिसे पश्चिम दिशा में भेजा गया था—अब तक लौट नहीं पाया है। यह बॉम्बर, जिसे 'MYTEE' कॉलसाइन दिया गया था, हवाई द्वीप के डेनियल K इनोए इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर इमरजेंसी लैंडिंग के लिए मजबूर हुआ। यह एयरपोर्ट हिकम एयर फोर्स बेस के रनवे से जुड़ा है।
लैंडिंग के बाद से यह अत्याधुनिक विमान वहीं खड़ा है। अमेरिकी वायुसेना ने अब तक इसकी मरम्मत या वापसी को लेकर कोई जानकारी साझा नहीं की है। इस लैंडिंग का एक वीडियो पूर्व वायुसेना पायलट डेविड मार्टिन द्वारा साझा किया गया, जो सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो रहा है। हालांकि, आधिकारिक स्तर पर अमेरिका इस पूरे घटनाक्रम पर चुप्पी साधे हुए है।
B-2 बॉम्बर: तकनीक का चमत्कार या चुनौती?
B-2 बॉम्बर अमेरिका की सैन्य शक्ति का प्रतीक माना जाता है। इसकी कीमत लगभग दो अरब डॉलर प्रति यूनिट है और यह विशेष रूप से शत्रु देशों की भूमिगत और परमाणु सुविधाओं को ध्वस्त करने के लिए बनाया गया है। फिलहाल अमेरिका के पास केवल 19 ऐसे विमान हैं, इसलिए एक भी यूनिट का नुकसान रणनीतिक दृष्टिकोण से बेहद गंभीर माना जाता है।
लेकिन तकनीकी रूप से अत्याधुनिक माने जाने वाले इन विमानों ने पूर्व में भी समस्याएं झेली हैं। अप्रैल 2023 में एक अन्य B-2 को भी हवाई में इमरजेंसी लैंडिंग करनी पड़ी थी। उससे पहले 2022 में एक विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद पूरी फ्लीट को अस्थायी रूप से ग्राउंड कर दिया गया था। 2008 का हादसा सबसे बड़ा माना जाता है, जब ‘स्पिरिट ऑफ कंसास’ नामक B-2 उड़ान भरते ही गुआम में क्रैश हो गया था।
ईरान और अमेरिका के दावे
जहां ईरान का कहना है कि उसकी परमाणु सुविधाओं को कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ, वहीं अमेरिका इस अभियान को सफल बताता है और दावा करता है कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम पीछे धकेल दिया गया है। लेकिन लापता बॉम्बर को लेकर उठे सवालों ने इस मिशन की पारदर्शिता और प्रभावशीलता पर शक की परतें चढ़ा दी हैं।
--Advertisement--