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बिहार की सियासत इन दिनों गर्म है। मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर चल रही खींचतान और एनडीए के भीतर की उठापटक के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बिहार दौरा एक बड़े सियासी संदेश के रूप में देखा जा रहा है। 24 अप्रैल को मधुबनी में होने वाला उनका आगमन और उससे पहले बिहार को दी जा रही तोहफों की बौछार ने सियासी गलियारों में चर्चा छेड़ दी है। कोई इसे भाजपा की ताकत का प्रदर्शन बता रहा है, तो कोई इसे बिहार की समाजवादी जमीन को भगवामय करने की सूक्ष्म रणनीति करार दे रहा है। आइए, इस सियासी ड्रामे के हर पहलू को करीब से समझते हैं।
मनरेगा मजदूरों को 2,100 करोड़ का तोहफा
प्रधानमंत्री मोदी के बिहार दौरे से पहले ही केंद्र सरकार ने मनरेगा मजदूरों के लिए बड़ा ऐलान कर दिया है। वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत बिहार को 2,102.24 करोड़ रुपये की पहली किस्त जारी की गई है। यह राशि बिहार के ग्रामीण इलाकों में रोजगार सृजन और बुनियादी ढांचे के विकास में अहम भूमिका निभाएगी।
लेकिन सियासी जानकार इसे केवल आर्थिक मदद से ज्यादा, एक रणनीतिक कदम के रूप में देख रहे हैं, जिसका मकसद ग्रामीण वोटरों को लुभाना हो सकता है।
अमृत भारत ट्रेन: बिहार को रेलवे का सौगात
मनरेगा के बाद अब बिहार को रेलवे के क्षेत्र में भी बड़ा तोहफा मिलने जा रहा है। माना जा रहा है कि 24 अप्रैल को मधुबनी के झंझारपुर में आयोजित कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री मोदी अमृत भारत (नमो भारत एक्सप्रेस) ट्रेन को हरी झंडी दिखाएंगे। वंदे भारत के बाद यह बिहार के लिए एक और आधुनिक रेल सेवा होगी, जो यात्रियों को तेज और आरामदायक सफर का अनुभव देगी।
मधुबनी में मेगा रैली
प्रधानमंत्री मोदी का मधुबनी दौरा पंचायती राज दिवस के अवसर पर हो रहा है। इस मौके पर वह एक विशाल रैली को संबोधित करेंगे, जिसमें हजारों लोग शामिल होने की उम्मीद है। सूत्रों के मुताबिक, इस रैली में पीएम कई बड़े ऐलान कर सकते हैं, जिनमें बाढ़ राहत, मखाना उद्योग को बढ़ावा और विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास शामिल हो सकता है।
सियासी जानकार मानते हैं कि यह रैली केवल पंचायती राज को मजबूत करने का मंच नहीं, बल्कि एनडीए की ताकत और एकता का प्रदर्शन भी होगी।
क्या है इस दौरे का सियासी मकसद?
प्रधानमंत्री मोदी का बिहार दौरा और इससे पहले दी जा रही सौगातें कई सवाल खड़े करती हैं। क्या यह केवल एनडीए की एकता और ताकत का प्रदर्शन है? या फिर भाजपा बिहार में अपनी सियासी जमीन को और मजबूत करने की कोशिश कर रही है? क्या यह सीएम फेस की रेस में भाजपा के किसी चेहरे को चमकाने की रणनीति है?