
Up Kiran, Digital Desk: क्या आपने कभी सोचा है कि जिस शेयर बाजार में आज लाखों लोग पैसा लगाते हैं, और जो हमारी अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, उसकी शुरुआत कैसे हुई होगी? आज हम बात कर रहे हैं बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) की, जिसने हाल ही में अपने 150 साल पूरे किए हैं। यह सिर्फ एक आंकड़ा नहीं, बल्कि भारत की आर्थिक तरक्की, निवेशकों के सपनों और कई उतार-चढ़ावों की एक लंबी और अविस्मरणीय कहानी है।
एक नीम के पेड़ से शुरू हुआ सफर...
यह जानकर शायद आपको हैरानी होगी कि देश के सबसे पुराने और एशिया के सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंजों में से एक, BSE की कहानी 1875 में मुंबई की भीड़-भाड़ वाली गलियों से शुरू हुई थी। उस समय, कुछ स्टॉक ब्रोकर एक नीम के पेड़ के नीचे बैठकर व्यापार किया करते थे। वहीं से 'नेटिव शेयर एंड स्टॉक ब्रोकर्स एसोसिएशन' की स्थापना हुई, जो आज का हमारा बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज है। सोचिए, एक नीम के पेड़ के नीचे हुई शुरुआत आज कहां पहुंच गई है!
Sensex: सिर्फ एक संख्या नहीं, भारतीय अर्थव्यवस्था का बैरोमीटर
BSE के प्रमुख इंडेक्स, Sensex (सेंसिटिव इंडेक्स) को 1986 में पेश किया गया था। इसकी आधार कीमत 1978-79 को 100 अंक मानकर तय की गई थी। उस समय किसी ने शायद ही सोचा होगा कि यह 100 अंकों का आधार आज 90,000 के करीब पहुंचने वाला है। यह आंकड़ा सिर्फ संख्याओं का खेल नहीं है, बल्कि यह बताता है कि बीते दशकों में भारतीय अर्थव्यवस्था ने कितनी ऊंची उड़ान भरी है।
उतार-चढ़ाव भरे सफर में लचीलापन
इन 150 सालों में BSE ने न सिर्फ बुल रन (बाजार में तेजी) और बेयर मार्केट (बाजार में मंदी) देखी है, बल्कि कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संकटों का भी सामना किया है। चाहे वह 90 के दशक के आर्थिक सुधार हों, 2008 का वैश्विक वित्तीय संकट हो, या हाल ही में COVID-19 महामारी का दौर, BSE ने हर चुनौती का डटकर सामना किया है और हमेशा मजबूती से वापसी की है। यह भारतीय पूंजी बाजार के लचीलेपन और निवेशकों के भरोसे का प्रतीक है।
तकनीक और निवेशकों का भरोसा
BSE ने समय के साथ खुद को आधुनिक बनाया है। मैन्युअल ट्रेडिंग से लेकर कंप्यूटरीकृत और फिर ऑनलाइन ट्रेडिंग तक का सफर अभूतपूर्व रहा है। डीमैट अकाउंट्स, ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म्स और टेक्नोलॉजी के बढ़ते इस्तेमाल ने इसे देश के हर कोने में बैठे छोटे निवेशकों के लिए भी सुलभ बना दिया है।
--Advertisement--