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Up Kiran, Digital Desk: अमेरिका की राजनीति एक बार फिर गर्म हो गई है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ऐलान किया है कि आने वाले चुनावों में वह वोटिंग मशीन और ई-मेल के ज़रिए होने वाले मतदान की प्रक्रिया को पूरी तरह खत्म करना चाहते हैं। ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट लिखकर संकेत दिया कि वह जल्द ही इस संबंध में कार्यकारी आदेश जारी करेंगे।

“मशीन और मेल बैलेट से चुनाव सुरक्षित नहीं”

ट्रंप लंबे समय से इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन और मेल-इन बैलेट का विरोध करते रहे हैं। उनका तर्क है कि मशीनों को हैक किया जा सकता है और इनका इस्तेमाल धांधली के लिए किया जा सकता है। सोमवार सुबह की अपनी पोस्ट में उन्होंने आशंका जताई कि यदि वोटिंग मशीनों का इस्तेमाल जारी रहा तो चुनावी पारदर्शिता पर सवाल खड़े होंगे। हालांकि अब तक अमेरिकी चुनावों में मशीनों से जुड़ी बड़ी गड़बड़ी साबित नहीं हुई है।

डेमोक्रेट्स का अलग रुख

डेमोक्रेटिक पार्टी का मानना है कि मेल-इन बैलेट लोकतंत्र को मजबूत बनाता है, क्योंकि यह उन लोगों को मतदान का मौका देता है जो शारीरिक रूप से पोलिंग बूथ तक नहीं पहुंच सकते। इनमें बुजुर्ग, दिव्यांग और दूरदराज़ इलाकों में रहने वाले लोग शामिल हैं। उनका कहना है कि इस प्रक्रिया से वोटिंग का दायरा बढ़ता है और ज्यादा नागरिक अपने अधिकार का इस्तेमाल कर पाते हैं।

ट्रंप की मुहिम

इसके उलट रिपब्लिकन खेमे का बड़ा हिस्सा, खासकर ट्रंप समर्थक, मानता है कि मेल-इन बैलेट और वोटिंग मशीनें चुनावी गड़बड़ी की सबसे बड़ी वजह बन सकती हैं। ट्रंप ने अपनी पोस्ट में लिखा कि वह एक राष्ट्रीय अभियान की शुरुआत करने वाले हैं, जिसमें इन दोनों तरीकों को खत्म करने की मांग की जाएगी। उन्होंने पेपर बैलेट को सबसे सुरक्षित और पारदर्शी विकल्प बताया।

ट्रंप के अनुसार, पेपर मतपत्र न केवल तेज़ और आसान हैं बल्कि नतीजों में भी स्पष्टता लेकर आते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि इलेक्ट्रॉनिक मशीनें कागज़ी मतपत्रों की तुलना में कहीं ज्यादा महंगी हैं और इनसे विवाद की गुंजाइश बनी रहती है।

आने वाले चुनावों पर असर

अगर ट्रंप सचमुच इस दिशा में कदम उठाते हैं, तो 2026 के मध्यावधि चुनाव अमेरिका की चुनावी प्रक्रिया में बड़े बदलाव का गवाह बन सकते हैं। फिलहाल राजनीतिक माहौल में उनकी घोषणा ने नई बहस छेड़ दी है। जहां एक तरफ डेमोक्रेट्स इसे लोकतंत्र पर हमला मान रहे हैं, वहीं ट्रंप समर्थक इसे चुनाव सुधार की दिशा में बड़ा कदम बता रहे हैं।

 

 

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