Up Kiran, Digital Desk: भारत के ऐतिहासिक और पवित्र तीर्थस्थलों में से एक, बदरीनाथ धाम को एक नई पहचान मिलने जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की निगरानी में बदरीनाथ के मास्टरप्लान पर काम चल रहा है, जो इसे एक स्मार्ट आध्यात्मिक शहर के रूप में विकसित करने की दिशा में बड़ा कदम है। खास बात ये है कि इस पूरे विकास कार्य के लिए 481 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है।
बदरीनाथ का संपूर्ण विकास होगा
बदरीनाथ में चल रहे इस मास्टरप्लान के तहत धार्मिक, पर्यावरणीय और सामाजिक दृष्टिकोण से तीर्थ स्थल को पूरी तरह से नए रूप में विकसित किया जाएगा। इस योजना में मंदिर परिसर का पुनर्निर्माण, जाम की समस्या को कम करने के उपाय, सड़कों का विस्तार, पैदल मार्ग, सार्वजनिक पार्क और पर्यावरण संरक्षण के उपाय शामिल हैं।
अलकनंदा नदी के किनारे एक नदी फ्रंट और प्लाजा का निर्माण किया जाएगा, ताकि श्रद्धालुओं को बेहतर अनुभव मिल सके। साथ ही, बिजली, पानी और स्वच्छता जैसी बुनियादी सुविधाओं में सुधार किया जाएगा। मास्टरप्लान के अनुसार, भूमि उपयोग और भवन निर्माण के कड़े नियमों का पालन किया जाएगा, ताकि इस क्षेत्र में पर्यावरणीय सुरक्षा और भूकंपीय सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
तीर्थयात्रियों के लिए बेहतरीन सुविधाएं
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि इस परियोजना के तहत स्थानीय लोगों के लिए रोजगार सृजन, सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण और तीर्थयात्रियों के लिए बेहतर अनुभव प्रदान करना मुख्य उद्देश्य है। साथ ही, श्रद्धालुओं के लिए ठहरने की सुविधाओं को भी बढ़ाया जाएगा। इसके अतिरिक्त, बदरीनाथ के बाजारों को व्यवस्थित करने का भी प्रावधान है, ताकि श्रद्धालुओं को स्थानीय उत्पादों की खरीदारी में कोई समस्या न हो।
रेल कनेक्टिविटी का विस्तार
बदरीनाथ के विकास के साथ-साथ रेल कनेक्टिविटी पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। केंद्र सरकार कर्णप्रयाग तक रेल मार्ग का विस्तार कर रही है, और भविष्य में इस रेल परियोजना को और आगे बढ़ाने की संभावना तलाशी जा रही है। मुख्यमंत्री धामी ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात के दौरान बदरीनाथ और केदारनाथ धाम के विकास पर विस्तृत चर्चा हुई थी, और पीएमओ लगातार इस परियोजना की समीक्षा कर रहा है।
तीन चरणों में होगा पूरा काम
बदरीनाथ के इस मास्टर प्लान के तहत विकास कार्य तीन चरणों में पूरा किया जाएगा, जो 85 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला होगा। अगले 50 सालों में तीर्थयात्रियों की संख्या में वृद्धि को ध्यान में रखते हुए, इस परियोजना को ध्यानपूर्वक डिजाइन किया गया है।
_93513989_100x75.png)
_1415962506_100x75.png)
_710674895_100x75.png)
_687127481_100x75.png)
_1423745703_100x75.png)