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Up Kiran, Digital Desk: भारत में ऑनलाइन गेमिंग का क्षेत्र, विशेष रूप से 'रियल मनी गेम्स' (RMGs), हाल के वर्षों में तेजी से बढ़ा है। जहाँ यह लाखों लोगों के लिए मनोरंजन, रोजगार और आर्थिक अवसर का स्रोत बना है, वहीं दूसरी ओर इसने नशे, धोखाधड़ी, वित्तीय बर्बादी और आत्महत्या जैसी गंभीर सामाजिक समस्याओं को भी जन्म दिया है। इन चिंताओं के मद्देनजर, भारत सरकार ने 'ऑनलाइन गेमिंग संवर्धन और विनियमन विधेयक, 2025' पेश किया है, जो देश में पैसों के लेनदेन वाले सभी ऑनलाइन गेम्स पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव करता है। इस विधेयक के लोकसभा में पारित होने के बाद, ऑनलाइन गेमिंग उद्योग में हलचल मच गई है, और एक महत्वपूर्ण बहस छिड़ गई है: क्या यह प्रतिबंध उचित है?

सरकार का रुख: सुरक्षा पहले, आर्थिक लाभ बाद में

केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव के अनुसार, पैसे से जुड़ा ऑनलाइन गेम एक गंभीर सामाजिक और जन स्वास्थ्य समस्या बन गया है, जिसका समाज पर नकारात्मक प्रभाव स्पष्ट है। सरकार का मानना है कि इन गेम्स की लत, वित्तीय धोखाधड़ी, धन शोधन और आतंकवादी गतिविधियों को मिलने वाले समर्थन जैसे गंभीर मुद्दों से निपटने के लिए एक कड़ा कदम उठाना आवश्यक है। विधेयक का मुख्य उद्देश्य ई-स्पोर्ट्स और सोशल/शैक्षिक गेम्स को बढ़ावा देना है, जबकि 'रियल मनी गेम्स' (जैसे फैंटेसी स्पोर्ट्स, पोकर, रमी, ऑनलाइन लॉटरी और सट्टेबाजी) पर पूरी तरह से रोक लगाना है।

विधेयक के मुख्य प्रावधान और दंड:

मनी गेम्स पर पूर्ण प्रतिबंध: भले ही कोई गेम 'कौशल' (Skill) पर आधारित हो या 'भाग्य' (Chance) पर, यदि उसमें पैसों का लेन-देन शामिल है, तो उसे प्रतिबंधित किया जाएगा।

वित्तीय लेनदेन पर रोक: बैंकों और वित्तीय संस्थानों को ऐसे मनी गेम्स के लिए किसी भी प्रकार के वित्तीय लेनदेन की सुविधा देने से मना किया जाएगा।

विज्ञापन पर प्रतिबंध: मनी गेम्स के प्रचार और विज्ञापन पर भी रोक लगेगी, जिसमें सेलिब्रिटीज और इन्फ्लुएंसरर्स द्वारा किए जाने वाले प्रचार भी शामिल हैं।

कठोर दंड:

मनी गेम्स की पेशकश या सुविधा देने वालों के लिए 3 साल तक की जेल या 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना।

विज्ञापन करने वालों के लिए 2 साल तक की जेल या 50 लाख रुपये तक का जुर्माना।

बार-बार नियम तोड़ने पर 5 साल तक की जेल और 2 करोड़ रुपये तक का जुर्माना।

ये अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती होंगे।

राष्ट्रीय प्राधिकरण की स्थापना: एक राष्ट्रीय स्तर का प्राधिकरण बनाया जाएगा जो ऑनलाइन गेम्स को वर्गीकृत, पंजीकृत करेगा, शिकायतों का निवारण करेगा और नियमों की निगरानी करेगा।

ई-स्पोर्ट्स और सोशल गेम्स को बढ़ावा: सरकार ई-स्पोर्ट्स को एक वैध खेल के रूप में मान्यता देगी, और सामाजिक व शैक्षिक गेम्स को बढ़ावा देगी।

प्रतिबंध के पक्ष में तर्क: नशे से सुरक्षा और सामाजिक कल्याण

सरकार और कई सामाजिक संगठनों का मानना ​​है कि ऑनलाइन मनी गेम्स की लत युवाओं और समाज के लिए एक बड़ी चुनौती है। इसके कुछ प्रमुख कारण हैं:

लत और मानसिक स्वास्थ्य: WHO ने 'गेमिंग डिसऑर्डर' को एक मानसिक बीमारी के रूप में वर्गीकृत किया है। ये गेम्स डोपामिन हुक, FOMO (फियर ऑफ मिसिंग आउट) और 'नियर मिस' जैसी तकनीकों का उपयोग करके खिलाड़ियों को व्यसनी बना सकते हैं। इससे तनाव, अवसाद, चिंता और आत्महत्या के मामले बढ़ रहे हैं।

आर्थिक बर्बादी: कई लोग अपनी बचत, संपत्ति और यहां तक ​​कि जीवन भी गंवा चुके हैं। तेलंगाना और तमिलनाडु में गेमिंग की लत के कारण आत्महत्याओं के मामले सामने आए हैं।

धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग: ये प्लेटफॉर्म अवैध धन, मनी लॉन्ड्रिंग, टेरर फाइनेंसिंग और डिजिटल धोखाधड़ी के लिए उपयोग किए जा सकते हैं।

असुरक्षित प्लेटफार्मों का उदय: यदि इन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया जाता है, तो लोग अवैध, अनियंत्रित और विदेशी प्लेटफार्मों की ओर जा सकते हैं, जिससे उन्हें नियंत्रित करना और भी मुश्किल हो जाएगा।

प्रतिबंध के खिलाफ तर्क: आर्थिक विकास और रोजगार पर चोट

दूसरी ओर, ऑनलाइन गेमिंग उद्योग और इससे जुड़े कई विशेषज्ञों का मानना ​​है कि पूर्ण प्रतिबंध सही समाधान नहीं है। उनके तर्क इस प्रकार हैं:

आर्थिक योगदान: भारत का ऑनलाइन गेमिंग उद्योग तेजी से बढ़ रहा है, जिसका मूल्य ₹2 लाख करोड़ से अधिक है और यह सालाना लगभग ₹20,000-₹31,000 करोड़ का कर राजस्व उत्पन्न करता है। यह क्षेत्र 2 लाख से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करता है।

विदेशी निवेश: इस सेक्टर में ₹25,000 करोड़ से अधिक का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) आ चुका है। प्रतिबंध से इस निवेश और भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था की छवि पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।

'कौशल बनाम संयोग' का मुद्दा: कई गेम, जैसे फैंटेसी स्पोर्ट्स और रमी, को 'कौशल-आधारित' माना जाता है, जो कानून के तहत जुआ नहीं हैं। इन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना एक वैध उद्योग को नुकसान पहुंचा सकता है।

नियंत्रण बनाम प्रतिबंध: उद्योग संगठनों का तर्क है कि प्रतिबंध लगाने के बजाय, नियमों के दायरे में लाकर (Regulation) और कराधान (Taxation) के माध्यम से इसे विनियमित किया जाना चाहिए। इससे सरकार को राजस्व मिलेगा, जिसका उपयोग सामाजिक कल्याण या गेमिंग उद्योग के विकास के लिए किया जा सकता है। प्रतिबंध लगाने से यह व्यवसाय भूमिगत हो जाएगा और अपराधियों को फायदा होगा।

उद्योग की अपील: नियमन, प्रतिबंध नहीं

ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन (AIGF), ई-गेमिंग फेडरेशन (EGF) और फेडरेशन ऑफ इंडिया फैंटेसी स्पोर्ट्स (FIFS) जैसे प्रमुख उद्योग निकायों ने गृह मंत्री अमित शाह से हस्तक्षेप की अपील की है। उनका मानना ​​है कि 'रियल मनी गेम्स' पर पूर्ण प्रतिबंध एक वैध, नौकरी देने वाले और तेजी से बढ़ते उद्योग के लिए "मृत्युदंड" साबित होगा। वे सरकार से आग्रह कर रहे हैं कि वह खिलाड़ियों की सुरक्षा और सामाजिक कल्याण सुनिश्चित करते हुए, उद्योग को विनियमित करने की दिशा में काम करे।

आगे का रास्ता: संतुलन की तलाश

यह विधेयक एक जटिल मुद्दे पर सरकार के रुख को दर्शाता है, जहाँ वह आर्थिक विकास के साथ-साथ नागरिकों की सुरक्षा को भी प्राथमिकता दे रही है। ऑनलाइन गेमिंग उद्योग के सामने अब एक बड़ी चुनौती है कि वह कैसे सरकार के साथ मिलकर एक ऐसा समाधान निकाले जो आर्थिक लाभ और सामाजिक कल्याण के बीच संतुलन स्थापित करे। क्या यह प्रतिबंध ऑनलाइन गेमिंग के 'गेम ओवर' का संकेत है, या यह एक ऐसे नए अध्याय की शुरुआत है जहाँ भारत एक जिम्मेदार और विनियमित गेमिंग हब के रूप में उभरेगा? यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस कानून का अंतिम कार्यान्वयन कैसे होता है और यह भारतीय डिजिटल अर्थव्यवस्था को किस दिशा में ले जाता है।

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