Up kiran,Digital Desk : हम और आप अक्सर लंबे सफर के लिए स्लीपर बसों का चुनाव करते हैं, यह सोचकर कि आराम से लेटकर गंतव्य तक पहुँच जाएंगे। लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि जिस बस में आप और आपका परिवार सफर कर रहा है, उसका डिजाइन ही आपकी जान का दुश्मन हो सकता है? जी हाँ, देश में बढ़ते बस हादसों और उनमें जाने वाली जानों को देखते हुए अब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने बहुत ही सख्त रुख अपनाया है।
आखिर मुद्दा क्या है?
दरअसल, यह पूरा मामला तब सामने आया जब एक शिकायत में बताया गया कि आजकल चलने वाली कई स्लीपर बसों का डिजाइन यात्रियों की सुरक्षा के लिहाज से बेहद खतरनाक है। सबसे बड़ी कमी यह है कि बस ड्राइवर का केबिन यात्रियों वाले हिस्से (कंपार्टमेंट) से पूरी तरह अलग होता है।
जरा सोचिए, अगर बस के पीछे या बीच में कहीं आग लग जाए, तो ड्राइवर को तुरंत पता ही नहीं चलता। और अगर ड्राइवर के पास कुछ गड़बड़ी हो, तो पीछे सो रहे यात्रियों तक खतरे की घबराहट या सूचना पहुँचने में बहुत देर हो जाती है। जब तक पता चलता है, तब तक आग विकराल रूप ले चुकी होती है।
हादसों से नहीं लिया गया सबक
हाल ही में हमने देखा है कि कई यात्री बसों में चलते-चलते आग लग गई और कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। यह सिर्फ एक हादसा नहीं है, बल्कि सिस्टम की लापरवाही है। शिकायत में साफ कहा गया है कि यह लोगों के "जीने के अधिकार" (संविधान का अनुच्छेद 21) के खिलाफ है। बस बनाने वाली कंपनियों से लेकर उन्हें सड़क पर दौड़ने की परमिशन देने वाले अधिकारियों तक, सबकी लापरवाही ने इसे 'सफर' की जगह 'खतरा' बना दिया है।
NHRC का कड़ा निर्देश
मामले की गंभीरता को समझते हुए, प्रियांक कानूनगो की अध्यक्षता वाली NHRC की पीठ ने तुरंत एक्शन लिया है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा है कि सुरक्षा मानकों (Safety Standards) की धज्जियां उड़ाने वाली ऐसी स्लीपर कोच बसों को सड़कों से हटाया जाए।
आयोग ने देश के सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को निर्देश जारी कर दिया है। इसके साथ ही सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) के सचिव और केंद्रीय सड़क परिवहन संस्थान के निदेशक को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है। उन्हें दो सप्ताह के भीतर जांच करके रिपोर्ट देनी होगी कि अब तक क्या कार्रवाई हुई।
नियमों की अनदेखी पड़ी भारी
इस मामले में केंद्रीय सड़क परिवहन संस्थान की एक पुरानी रिपोर्ट भी आँखें खोलने वाली है। राजस्थान में हुए एक दर्दनाक बस हादसे की जांच में पाया गया था कि बस का डिजाइन 'सेंट्रल मोटर व्हीकल रूल्स' (CMVR) के खिलाफ था। यानी, बस का स्ट्रक्चर ही गलत था, लेकिन फिर भी वह सड़क पर दौड़ रही थी।
अब उम्मीद है कि मानवाधिकार आयोग के इस डंडे के बाद प्रशासन जागेगा और हमारी और आपकी यात्रा सुरक्षित हो सकेगी। अगली बार बस में बैठने से पहले यह सोचना जरूरी है कि क्या वह बस सुरक्षा के नियमों पर खरी उतरती है या नहीं।




