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विधान सभा चुनाव में राजनेतिक पार्टियां पुरजोर तरीके से आक्रामक हो चुकी है। एक तरफ कांग्रेस से बर्खास्त राजेन्द्र गुढ़ा जिन्होने शिव सेना का दामन थामा वो निरंतर मंच के माध्यम से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर निशाना साधने में लगे है। भ्रष्टाचार के आरोप उनकी ओर से लगाए जा रहे है और साथ साथ लाल डायरी का जिक्र उनकी ओर से किया जा रहा है।

उन्होने साफतौर पर कहा कि अब समय आ चुका है। लाल डायरी के पूरे पन्ने खोलने का। इसके साथ ही मुख्यमंत्री पर जितने आरोप लगाए जा रहे है इस पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कहा कि कांग्रेस है लाल डायरी को जो है काल्पनिक उनकी ओर से कहा जा रहा है क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजस्थान के दौरे पर आते हैं। उनकी ओर से लाल डायरी का जिक्र किया जाता है और कहा जाता है कि राजस्थान में अगर बीजेपी की सरकार आएगी तो लाल डायरी की जांच होगी। इसके बाद अगर बात करे हनुमान बेनीवाल जो कि आरोपी प्रमुख है उनकी ओर से निरंतर सभाओं के माध्यम से कांग्रेस और बीजेपी पर निशाना साधा ही जा रहा है।

कांग्रेस से पूर्व सांसद झुंझुनू ज्योति मिर्धा पर भी लगे आरोप

कांग्रेस से पूर्व सांसद झुंझुनू ज्योति मिर्धा जिन्होने बीजेपी का दामन थामा इनपर भी आरोप लगाये जा रहे। आज ज्योति मिर्धा और हनुमान बेनीवाल एक दूसरे पर जातिगत टिप्पणियां भी करने में लगे हैं। आरोप प्रत्यारोप का दौर तो साफतौर पर देखने को मिल गया और हनुमान बेनीवाल तो यहां तक कह चुके हैं अगर ज्योति मिर्धा उनके सामने इस बार खड़ी होगी तो पिछली बार जिस अंतर से हराया था उससे ज्यादा अंतर से हराएंगे।

दिव्या मदेरणा की अगर बात करें दिव्या मदेरणा अपने ही जो है किसान नेता बदी बद्रीराम जाखड़ पर आरोप लगाने में लगी है। निरंतर आरोप प्रत्यारोप का दौर तो साफ तौर पर देखने को मिल रहा है। दोनों प्रमुख पार्टियों की अगर बात करें कांग्रेस और बीजेपी में मतभेद और मनभेद खत्म करने की बात करने में लगे लेकिन जिस तरह के हालात देखने को मिल रहे है आरोप प्रत्यारोप दोनों ही पार्टियों की तरफ से देखने को मिल रहा है। कांग्रेस के नेता अपने ही नेताओं पर आरोप लगाने में लगे हैं।

चुनाव हो सकता है भारी नुकसान

मुख्यमंत्री हालांकि एकजुटता की बात करने में लग गया है। सचिन पायलट हालांकि एकजुटता की बात करते हुए केंद्र की बीजेपी सरकार और राजस्थान में विपक्ष यानी बीजेपी पर निशाना साधने की कोशिश उनकी ओर से की जा रही हैं। लेकिन जिस तरह के हालात जो दोनों ही पार्टियों में देखने को मिल रहे हैं, मतभेद और मनभेद साफतौर पर विधानसभा चुनाव से पहले निकल कर सामने आ रहा है। दोनों ही पार्टियों के नेता निरंतर मंथन करने में लगे हैं कि इस मतभेद और मनभेद को खत्म किया जाये। मगर मतभेद और मनभेद खत्म नहीं हो रहे और जिस तरह के हालात बने वह चाहे वो कांग्रेस में हो चाहे बीजेपी में हो ये कहीं ना कहीं पार्टी को नुकसान साबित कर सकते हैं। 

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