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Up Kiran, Digital Desk: भारत में शारदीय नवरात्रि और दुर्गा पूजा का धार्मिक महत्त्व अत्यधिक है, लेकिन बंगाली समाज में इस पर्व के समापन के मौके पर एक विशिष्ट रीति-रिवाज देखने को मिलता है। विजयदशमी के दिन यहां की विवाहित महिलाएं ‘सिंदूर खेला’ के जरिए अपनी संस्कृति का जश्न मनाती हैं। यह उत्सव न केवल धार्मिक आस्था से जुड़ा है बल्कि समाज में महिला सशक्तिकरण और पारिवारिक सौहार्द का भी प्रतीक माना जाता है।
सिंदूर खेला: सामुदायिक उत्सव और पारिवारिक बंधन
इस परंपरा में महिलाओं द्वारा मां दुर्गा को सिंदूर अर्पित करना और फिर एक-दूसरे के माथे पर सिंदूर लगाना शामिल होता है। यह क्रिया पति की लंबी उम्र और सुखद वैवाहिक जीवन की कामना के रूप में देखी जाती है। 2 अक्टूबर, 2025 को यह उत्सव बड़े उत्साह के साथ मनाया जाएगा।
परंपरा का बढ़ता प्रभाव: बंगाल से विश्वभर तक
सिंदूर खेला अब केवल बंगाली समाज तक सीमित नहीं रहा। देश-विदेश में बसे बंगाली परिवार इसे अपनी सांस्कृतिक धरोहर के रूप में संजोते हुए बड़े उत्साह से मनाते हैं। इस रस्म से जुड़ा धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व महिलाओं के जीवन में खुशहाली, समृद्धि और पारिवारिक स्थिरता का आधार बनता है।
सामाजिक दृष्टि से सिंदूर खेला
इस त्योहार के माध्यम से न केवल धार्मिक श्रद्धा का प्रदर्शन होता है बल्कि यह समुदाय के बीच भाईचारे और आपसी सहयोग को भी बढ़ावा देता है। महिलाओं के बीच इस उत्सव के जरिए भावनात्मक जुड़ाव और पारिवारिक जिम्मेदारी की भावना मजबूत होती है। यह रिवाज उनके सामाजिक जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।