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Up Kiran, Digital Desk: सुप्रीम कोर्ट आज एक बेहद महत्वपूर्ण और संवेदनशील मामले पर सुनवाई करने जा रहा है। यह मामला एक नाबालिग लड़की से जुड़ा है, जिसने अपने बाल विवाह को शुरू से ही अमान्य (void ab initio) घोषित करने की मांग की है।

मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी। याचिका में मुख्य कानूनी सवाल यह है कि क्या बाल विवाह को पूरी तरह से गैर-कानूनी और शून्य माना जाना चाहिए, या यह केवल 'रद्द करने योग्य' (voidable) है, जिसे बालिग होने पर लड़की रद्द करा सकती है।

लड़की के वकील का तर्क है कि जब एक नाबालिग शादी के लिए कानूनी सहमति नहीं दे सकती, तो ऐसे विवाह को पूरी तरह से अवैध माना जाना चाहिए।

वर्तमान में, 'बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006' (Prohibition of Child Marriage Act, 2006) के तहत, बाल विवाह को शून्य (void) नहीं, बल्कि शून्यकरणीय (voidable) माना जाता है। इसका मतलब है कि पीड़ित पक्ष को बालिग होने के दो साल के भीतर शादी को रद्द कराने के लिए अदालत में याचिका दायर करनी होती है।

इस सुनवाई के नतीजे का भारत में बाल विवाह के खिलाफ कानूनी लड़ाई पर गहरा असर पड़ सकता है, क्योंकि यह लाखों लड़कियों के अधिकारों से जुड़ा एक अहम मुद्दा है।

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