
शेयर बाज़ार से जुड़ी एक दिलचस्प ख़बर सामने आ रही है। भारत की दिग्गज आईटी कंपनी इन्फोसिस (Infosys) अपने ही शेयर वापस ख़रीद रही है, जिसे 'शेयर बायबैक' भी कहते हैं। कंपनी इस बायबैक पर ₹18,000 करोड़ ख़र्च कर रही है।
क्या होता है शेयर बायबैक: जब कोई कंपनी मानती है कि बाज़ार में उसके शेयर की क़ीमत कम है, तो वह अपने ही शेयर ख़रीदकर कंपनी में निवेशकों का भरोसा बढ़ाती है। इससे बाज़ार में मौजूद शेयरों की संख्या कम हो जाती है और प्रति शेयर कमाई (EPS) बढ़ जाती है।
सबसे बड़ी बात क्या है: इस पूरी प्रक्रिया में सबसे अहम बात यह है कि इन्फोसिस के संस्थापकों, यानी प्रमोटर्स, ने इस बायबैक में अपने शेयर नहीं बेचने का फ़ैसला किया है। इसमें नंदन नीलेकणी और सुधा मूर्ति जैसे बड़े नाम भी शामिल हैं। प्रमोटर्स के पास कंपनी की कुल 13.05% हिस्सेदारी है।
इस फ़ैसले का क्या मतलब है?
प्रमोटर्स का अपने शेयर न बेचना एक बहुत बड़ा संकेत है। इसका सीधा मतलब यह है कि कंपनी के संस्थापकों को इन्फोसिस के भविष्य पर पूरा यक़ीन है। उन्हें लगता है कि आने वाले समय में कंपनी और भी अच्छा प्रदर्शन करेगी और उनके शेयरों की क़ीमत मौजूदा बायबैक क़ीमत (₹1,800 प्रति शेयर) से कहीं ज़्यादा होगी।
यह फ़ैसला छोटे और बड़े निवेशकों का भी हौसला बढ़ाता है। जब कंपनी के मालिक ही अपनी हिस्सेदारी बेचने को तैयार नहीं हैं, तो इसका मतलब है कि वे कंपनी के भविष्य को लेकर बहुत सकारात्मक हैं। यह दिखाता है कि कंपनी की बुनियाद मज़बूत है और लंबी अवधि के लिए इसमें निवेश करना फ़ायदेमंद हो सकता है।