
expressway construction problem: बिहार के लिए वाराणसी कोलकाता एक्सप्रेस-वे एक सपना है। एक ऐसा रास्ता जो राज्य को विकास की नई रफ्तार देगा। 161 किलोमीटर लंबा यह हाइवे सात हिस्सों में बनना है और इसे 61वें नेशनल हाइवे के रूप में नोटिफाई किया गया है। पहले हिस्से का काम शुरू हो चुका है और दूसरे-तीसरे हिस्से का टेंडर हो गया है। मगर रोहतास जिले में पैकेज चार और पांच के सामने आई मुश्किलों ने सारी योजना पर ब्रेक लगा दिया है।
यहां आ रही है समस्या
मुश्किल की जड़ है टनल का निर्माण। पैकेज चार में टनल बनाने के लिए एनएचएआई (NHAI) ब्लास्टिंग का इस्तेमाल करना चाहती थी, मगर वन विभाग ने इसकी इजाजत नहीं दी। विभाग का कहना है कि ब्लास्टिंग से जंगल और वन्यजीवों को नुकसान होगा।
इसके बजाय उन्होंने टनल बोरिंग मशीन (TBM) का सुझाव दिया। मगर TBM से टनल बनाने में लागत दो-तीन गुना बढ़ जाएगी, जिसे लेकर एनएचएआई ने आपत्ति जताई है। सड़क मंत्रालय ने डिजाइन में बदलाव का आदेश दिया है। अब नया एलाइनमेंट बनेगा, जिससे हाइवे की लंबाई 40-50 किलोमीटर तक बढ़ सकती है।
इस बदलाव का असर पैकेज पांच पर भी पड़ा है। सोन नदी पर प्रस्तावित पुल पहले तिलौथू के पास बनना था। अब नई जगह पर बनेगा। इसके लिए जमीन का फिर से अधिग्रहण करना होगा और रोहतास में पहले से ही लोग ज्यादा मुआवजे की माँग कर रहे हैं।
एक स्थानीय किसान ने बताया कि हमारी जमीन जाएगी, तो सही कीमत चाहिए। सरकार कम पैसे में सब लेना चाहती है। दूसरी तरफ राज्य सरकार पुराने डिजाइन पर अड़ी है, मगर वन विभाग का रुख सख्त है।
इन राज्यों से होकर गुजरेगा एक्सप्रेस-वे
बता दें कि ये एक्सप्रेस-वे वाराणसी से शुरू होकर बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के 18 शहरों से गुजरते हुए कोलकाता के पास एनएच-16 पर खत्म होगा। इसके बनने से वाराणसी से कोलकाता की 14 घंटे की दूरी सात घंटे में सिमट जाएगी। मगर अभी ये सपना अधर में लटक गया है।