
Up Kiran, Digital Desk: ज्योतिष की दुनिया में ग्रहों की चाल का हमारे जीवन और दुनिया पर गहरा असर माना जाता है। ऐसे में जब दो बड़े और महत्वपूर्ण ग्रह – गुरु (बृहस्पति) और शनि – अपनी चाल में खास बदलाव करते हैं, तो यह ज्योतिषियों के लिए विशेष अध्ययन का विषय बन जाता है। आने वाले समय में, खासकर साल 2025 में, कुछ ऐसी ही महत्वपूर्ण खगोलीय घटनाएं होने जा रही हैं। गुरु ग्रह अपनी सामान्य गति से तेज, यानी 'अतिचारी' चाल चलेंगे, वहीं शनि देव 'वक्री' यानी उल्टी दिशा में चलते हुए प्रतीत होंगे। आइए जानते हैं, ग्रहों के इस बड़े फेरबदल का देश-दुनिया पर क्या प्रभाव पड़ सकता है।
क्या है गुरु की 'अतिचारी' गति?
जब गुरु ग्रह अपनी सामान्य गति से ज़्यादा तेज़ चलते हुए दिखाई देते हैं, तो ज्योतिष में इसे 'अतिचारी' गति कहा जाता है। हालांकि, विज्ञान की नजर से देखें तो ग्रह की वास्तविक गति तेज नहीं होती, बल्कि पृथ्वी से देखने पर ऐसा आभास होता है। ज्योतिष के जानकारों का मानना है कि दशकों बाद गुरु ऐसी अतिचारी गति करने जा रहे हैं और यह सिलसिला 2032 तक चल सकता है। मई महीने में (संभवतः 2025 के संदर्भ में, हालांकि लेख में 14 मई का उल्लेख है जो वर्तमान वर्ष का हो सकता है, लेकिन आगे 2025 का स्पष्ट उल्लेख है) गुरु वृषभ राशि से मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे और अतिचारी गति शुरू करेंगे। फिर अक्टूबर में यह मिथुन से कर्क में जाएंगे और दिसंबर में वापस मिथुन में वक्री होकर लौटेंगे।
शनि देव की 'वक्री' चाल 2025
न्याय के देवता माने जाने वाले शनि ग्रह इस समय मीन राशि में विराजमान हैं। ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार, 13 जुलाई 2025 को शनि देव मीन राशि में ही वक्री चाल चलना शुरू कर देंगे। शनि का वक्री होना भी ज्योतिष में एक बड़ी घटना मानी जाती है। इसका मतलब है कि जुलाई 2025 के बाद कुछ समय ऐसा रहेगा जब गुरु अतिचारी होंगे और शनि वक्री।
देश-दुनिया पर क्या होगा इसका असर? ज्योतिषीय आकलन
ज्योतिषीय ग्रंथों, जैसे 'भविष्यफल भास्कर', के अनुसार जब शुभ ग्रह (जैसे गुरु) अतिचारी हों और क्रूर ग्रह (जैसे शनि) वक्री हों, तो यह स्थिति जनमानस के लिए कई तरह की चुनौतियां लेकर आ सकती है:
प्राकृतिक आपदाएं: ग्रहों की इस विशेष स्थिति के कारण असमय और बहुत ज़्यादा बारिश होने की आशंका है। इससे बाढ़ जैसे हालात बन सकते हैं या कुछ क्षेत्रों में अकाल जैसी स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है। कई देशों में भुखमरी का संकट भी गहरा सकता है।
जन-धन की हानि: ऐसी ग्रह दशाएं दुर्भाग्यवश जन-धन की हानि का कारण भी बन सकती हैं।
राजनीतिक उथल-पुथल: शनि और गुरु की यह स्थिति कई देशों में राजनीतिक अस्थिरता ला सकती है। राष्ट्राध्यक्षों को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ सकती है या सरकारों के मंत्रिमंडल में बड़े फेरबदल देखने को मिल सकते हैं। कुछ देशों के पतन की ओर जाने की भी आशंका जताई गई है।
मौसम पर प्रभाव: गुरु के अतिचारी होने और शनि के वक्री होने का सीधा असर मौसम पर भी दिखेगा। दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान शनि के वक्री होने से असामान्य बारिश किसानों और उनकी फसलों के लिए चिंता का विषय बन सकती है। खासकर जुलाई महीने की 15 तारीख के बाद असामान्य बारिश की आशंका है।
वैश्विक प्रभाव:
धार्मिक विवाद और हिंसा: विश्व स्तर पर कई देशों में धार्मिक विवाद उभर सकते हैं, जिससे सांप्रदायिक हिंसा फैलने का भी खतरा है।
युद्ध और अर्थव्यवस्था: कई देशों के बीच तनाव बढ़ सकता है और युद्ध जैसे हालात बन सकते हैं, जिसका बुरा असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा।
यह समझना महत्वपूर्ण है कि ज्योतिषीय भविष्यवाणियां संभावनाओं पर आधारित होती हैं और इन्हें अंतिम सत्य नहीं माना जाना चाहिए। हालांकि, ग्रहों की चाल का अध्ययन हमें आने वाले समय की चुनौतियों और अवसरों के प्रति सचेत रहने में मदद कर सकता है।
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