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Up Kiran, Digital Desk:  जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध और अधिक तनावपूर्ण हो चुके हैं। इस माहौल में पाकिस्तान सरकार ने एक ऐसा ऐतिहासिक और रणनीतिक निर्णय लिया है, जिसकी चर्चा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रही है। पाकिस्तान के इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद आसिम मलिक को अब देश का नया राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) नियुक्त किया गया है।

यह पहला मौका है जब पाकिस्तान के इतिहास में कोई मौजूदा ISI प्रमुख दोनों पदों—DG ISI और NSA—की जिम्मेदारी एक साथ निभाएगा। यह निर्णय केवल एक प्रशासनिक बदलाव नहीं है, बल्कि यह संकेत है कि पाकिस्तान अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा नीति को सैन्य सोच और खुफिया रणनीति के इर्द-गिर्द केंद्रित करने जा रहा है, खासकर जब भारत के साथ रिश्तों में तल्खी अपने चरम पर है।

 कैबिनेट की अधिसूचना से हुआ औपचारिक ऐलान: एक साथ दो पदों की जिम्मेदारी

मंगलवार को पाकिस्तान के कैबिनेट डिवीजन द्वारा जारी की गई अधिसूचना में कहा गया है:
“लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद आसिम मलिक, DG ISI, को तत्काल प्रभाव से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार का अतिरिक्त प्रभार सौंपा जाता है।”

इस अधिसूचना ने राजनीतिक और सैन्य गलियारों में हलचल मचा दी है। विशेषज्ञ इसे “कड़े समय में कड़ा फैसला” बता रहे हैं। पाकिस्तान के लिए यह फैसला इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि NSA का पद अप्रैल 2022 से खाली पड़ा था, जब तत्कालीन सरकार (पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ) हटाई गई थी और डॉ. मोईद यूसुफ ने यह पद छोड़ा था।

अब जब आसिम मलिक इस पद पर नियुक्त हुए हैं, तो यह साफ है कि पाकिस्तान अब सुरक्षा नीति के मामलों में पूरी तरह सेना और ISI के नेतृत्व में जा रहा है।

 कौन हैं जनरल मोहम्मद आसिम मलिक? प्रोफाइल पर एक नजर

जनरल आसिम मलिक का नाम पाकिस्तान की सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों में एक प्रभावशाली चेहरा माना जाता है। अक्टूबर 2024 में उन्हें ISI का डायरेक्टर जनरल नियुक्त किया गया था। इससे पहले वे विभिन्न सैन्य कमांड पोस्ट्स पर काम कर चुके हैं और सेना के भीतर उनकी पहचान एक सख्त और रणनीतिक सोच वाले अधिकारी के रूप में होती है।

मलिक की नियुक्ति को पाकिस्तान के रक्षा हलकों में एक मजबूत संकेत के रूप में देखा गया, खासकर ऐसे वक्त में जब देश आंतरिक राजनीतिक अस्थिरता और अंतरराष्ट्रीय दबावों से गुजर रहा है।

अब जब उन्हें NSA का अतिरिक्त प्रभार भी मिल गया है, तो यह साफ है कि पाकिस्तान की नीति-निर्माण प्रक्रिया में सैन्य नेतृत्व की भागीदारी और प्रभाव और भी गहरा होने वाला है।

 पहलगाम आतंकी हमले के बाद बदले हालात: भारत का आक्रामक रुख

22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुआ आतंकी हमला भारत-पाक रिश्तों में एक निर्णायक मोड़ लेकर आया। इस हमले में 26 लोगों की जान गई, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे। भारत ने इस हमले की ज़िम्मेदारी पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी संगठनों पर डाली और इसके तुरंत बाद कड़ी प्रतिक्रिया देना शुरू कर दिया।

भारत सरकार ने सेना को फ्री हैंड दे दिया, कई उच्चस्तरीय सुरक्षा बैठकें की गईं, और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को घेरने की रणनीति बनाई गई। इसके परिणामस्वरूप पाकिस्तान की सरकार और सेना दोनों में बेचैनी की स्थिति पैदा हो गई है।

यही वजह है कि पाकिस्तान ने विदेशों में अपने अधिकारियों को तैनात करना शुरू किया और अब इस सुरक्षा सलाहकार की नियुक्ति के जरिए एक तरह का “पावर शिफ्ट” भी स्पष्ट किया है।

भारत-पाक तनाव: जंग की आशंका या मनोवैज्ञानिक दबाव?

भारत और पाकिस्तान के बीच मौजूदा हालात बेहद संवेदनशील हैं। भारत की आक्रामक कूटनीतिक और सैन्य मुद्रा ने पाकिस्तान को रक्षात्मक मुद्रा में ला खड़ा किया है। जनरल आसिम मलिक की NSA के रूप में नियुक्ति इस बात की पुष्टि करती है कि पाकिस्तान अब हर स्तर पर मिलिटरी माइंडसेट को प्राथमिकता देने वाला है।

कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह फैसला एक मनौवैज्ञानिक रणनीति भी हो सकती है—जिसका उद्देश्य भारत को यह संदेश देना है कि पाकिस्तान किसी भी हालात से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है।

हालांकि दोनों देशों के बीच पूर्ण युद्ध की संभावना कम है, लेकिन LOC पर तनाव, राजनयिक गतिविधियों में तेजी और आंतरिक सुरक्षा सलाहकार की यह नियुक्ति यह संकेत जरूर देती है कि हालात सामान्य नहीं हैं।

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