Up kiran,Digital Desk : आज सुबह कर्नाटक की राजनीति में एक दिलचस्प तस्वीर देखने को मिली। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के घर नाश्ते पर पहुंचे। इस मौके पर डीके शिवकुमार और उनके भाई डीके सुरेश ने गर्मजोशी से उनका स्वागत किया। यह कोई पहली बार नहीं है, अभी शनिवार को ही दोनों नेता मुख्यमंत्री आवास पर नाश्ते पर मिले थे।
इस मुलाकात को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है, लेकिन दोनों नेता इसे एक सामान्य मुलाकात बता रहे हैं। सोमवार को ही सीएम सिद्धारमैया ने कहा था कि वो मंगलवार को डीके शिवकुमार के घर नाश्ते पर जाएंगे, हालांकि तब उन्हें औपचारिक न्योता नहीं मिला था। बाद में शाम को डीके शिवकुमार ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करके सीएम को नाश्ते का न्योता दिया।
गृह मंत्री ने कहा- सब ठीक है
कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने इस मुलाकात पर खुशी जताते हुए कहा, "यह अच्छी बात है कि हमारे दोनों नेता एक बार फिर नाश्ते पर मिल रहे हैं। हम चाहते हैं कि पिछले महीने से जो भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है, वह शांति से हल हो जाए।" उन्होंने यह भी बताया कि पार्टी हाईकमान की सलाह पर दोनों नेता मिल रहे हैं और उम्मीद है कि सभी मुद्दे सुलझा लिए जाएंगे।
क्या कर्नाटक में होगा नेतृत्व परिवर्तन?
पिछले कुछ दिनों से कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर चर्चाएं तेज हैं। कहा जा रहा है कि ढाई-ढाई साल के फॉर्मूले के तहत अब डीके शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। हालांकि, सिद्धारमैया और शिवकुमार दोनों ही सार्वजनिक तौर पर इन बातों को खारिज करते रहे हैं।
शनिवार को हुई मुलाकात के बाद भी दोनों नेताओं ने एकजुटता का संदेश देते हुए कहा था कि पार्टी आलाकमान का जो भी फैसला होगा, वे उसका सम्मान करेंगे। सूत्रों के मुताबिक, पार्टी हाईकमान ने फिलहाल सिद्धारमैया को ही मुख्यमंत्री बने रहने के लिए कहा है, खासकर आने वाले विधानसभा सत्र तक।
डीके शिवकुमार बोले- कोई गुटबाजी नहीं
डीके शिवकुमार ने सोमवार को दिए एक बयान में साफ किया कि "यह मेरे और मुख्यमंत्री के बीच का मामला है और हम दोनों भाइयों की तरह मिलकर काम कर रहे हैं।" उन्होंने मीडिया पर गुटबाजी की खबरें फैलाने का आरोप लगाते हुए कहा, "आप लोग गुट बना रहे हैं, हमारे बीच कोई गुटबाजी नहीं है। मेरे साथ 140 विधायक हैं और हम सब साथ मिलकर पार्टी के लिए काम कर रहे हैं।"
वहीं, डीके शिवकुमार के भाई और सांसद डीके सुरेश का कहना है कि नेतृत्व परिवर्तन का फैसला पार्टी आलाकमान ही करेगा और उनके फैसले का इंतजार करना चाहिए।
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