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Up Kiran, Digital Desk: बिहार विधानसभा चुनाव में अपनी नई पार्टी जन सुराज को एक भी सीट न मिलने के बाद प्रशांत किशोर लंबे समय से चुप थे। अब उन्होंने चुप्पी तोड़ी है और हार के पीछे कई बड़े कारण गिनाए हैं। एक तरफ वे चुनाव में बड़े पैमाने पर धांधली की बात कर रहे हैं तो दूसरी तरफ स्वीकार भी कर रहे हैं कि उनके पास इसका पुख्ता सबूत नहीं है।

एक भी सीट नहीं, जमानत तक बचाना मुश्किल

संक्षेप में रिजल्ट कुछ यूं रहा। जन सुराज ने 243 में से 238 सीटों पर उम्मीदवार उतारे। नतीजा? शून्य सीटें। वोट शेयर महज दो से तीन फीसदी के आसपास। अधिकतर कैंडिडेट्स की जमानत जब्त हो गई। यानी जो व्यक्ति कभी देश के सबसे बड़े चुनावी रणनीतिकार माने जाते थे, उनकी खुद की पार्टी बिहार में खाता भी नहीं खोल पाई।

“यात्रा में जो उत्साह दिखा, वो वोटों में क्यों नहीं बदला?”

इंडिया टुडे को दिए ताजा इंटरव्यू में प्रशांत किशोर ने कहा कि उनकी महीनों लंबी जन सुराज यात्रा के दौरान लोगों का जो जोश दिखा, वो मतदान के दिन गायब हो गया। उनके शब्दों में “कुछ अजेब शक्तियां काम कर रही थीं।” उन्होंने हैरानी जताई कि जिन छोटी-छोटी पार्टियों को लोग शायद ही जानते थे, उन्हें भी लाखों वोट कैसे मिल गए।

पीके ने साफ कहा, “लोग मुझसे कह रहे हैं कि मैं खुलकर बोलूं कि ईवीएम में गड़बड़ हुई। लेकिन मैं ऐसा नहीं कह सकता क्योंकि मेरे पास कोई ठोस प्रमाण नहीं है। हां, बहुत सारी चीजें समझ से बाहर हैं। पहली नजर में लगता है कि जरूर कुछ गलत हुआ, पर क्या हुआ, यह हम नहीं जानते।”

महिलाओं को दस हजार नकद और दो लाख का लालच?

सबसे गंभीर आरोप प्रशांत किशोर ने सत्तारूढ़ एनडीए पर लगाया। उनका दावा है कि चुनाव घोषणा के दिन से लेकर मतदान तक हजारों महिलाओं को दस-दस हजार रुपये नकद बांटे गए। साथ में वादा किया गया कि अगर नीतीश कुमार और एनडीए को वोट डाला तो बाकी के डेढ़-दो लाख रुपये बाद में मिलेंगे।

उन्होंने चुनौती भरे लहजे में कहा, “मुझे याद नहीं पड़ता कि देश में कभी किसी सरकार ने पचास हजार से ज्यादा महिलाओं को इस तरह खुले आम पैसे बांटे हों।”

जंगलराज का डर बना सबसे बड़ी दीवार

प्रशांत किशोर ने माना कि उनकी पार्टी की राह में सबसे बड़ा रोड़ा लालू प्रसाद यादव और आरजेडी के पुराने “जंगलराज” का डर बना। अभियान के आखिरी दौर में बहुत से मतदाताओं ने मान लिया था कि जन सुराज जीतने की स्थिति में नहीं है। ऐसे में उनका सीधा सवाल था, “अगर हमने आपको वोट दे दिया और आप नहीं जीते तो कहीं जंगलराज वापस न आ जाए?”

पीके के मुताबिक इसी डर ने हजारों संभावित वोटों को एनडीए खेमे में धकेल दिया।