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Up Kiran, Digital Desk:बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की घड़ी नजदीक आ रही है और जनता के बीच राजनीति का मिजाज काफी दिलचस्प होता जा रहा है। इस बार की जंग सिर्फ नेताओं के बीच नहीं बल्कि जनता के मन में कौन बेहतर बदलाव ला सकता है, इस सवाल पर भी केंद्रित हो गई है। तीन बड़ी ताकतें एनडीए, इंडिया गठबंधन और प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी के बीच मुकाबला होने की संभावना है, जिससे बिहार की जनता की राजनीति में नए रंग नजर आ रहे हैं।

जनता के बीच तेजस्वी यादव की पकड़ कमजोर, नए विकल्पों को मिल रहा ज़्यादा भरोसा

एक हालिया सी वोटर सर्वे ने साफ किया है कि तेजस्वी यादव अभी भी सबसे ज़्यादा वोटर पसंदीदा हैं, लेकिन उनका जनसमर्थन पहले जैसा मजबूत नहीं रहा। सर्वे में 35 प्रतिशत लोगों ने तेजस्वी को पहली पसंद बताया, जो फरवरी के मुकाबले 5 प्रतिशत कम है। इसका मतलब यह हुआ कि बिहार के युवा और रुझानशील मतदाता अब नये विकल्पों को भी गंभीरता से देख रहे हैं।

प्रशांत किशोर का तेजी से बढ़ता जनसमर्थन, बिहार की राजनीति में नई चुनौती

चुनावी रणनीतिकार से अब एक प्रमुख राजनीतिक चेहरा बन चुके प्रशांत किशोर की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है। फरवरी में उनका समर्थन केवल 14% था, जो अब बढ़कर 23% तक पहुंच गया है। लगातार बढ़ती इस लोकप्रियता से लग रहा है कि प्रशांत किशोर बिहार के राजनीतिक समीकरणों को पूरी तरह बदल सकते हैं। वह युवा और बदलाव की चाह रखने वाले वोटरों के बीच खासे लोकप्रिय होते जा रहे हैं।

नीतीश कुमार का जनाधार बना सवाल, तीसरे नंबर पर खड़े हैं मुख्यमंत्री पद के दावेदार

वहीं, मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समर्थन में उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है। वे इस चुनाव में तीसरे स्थान पर हैं, जहां 16% मतदाता उन्हें अगला मुख्यमंत्री मानते हैं। साल भर उनके जनाधार में स्थिरता नहीं रही। यह दर्शाता है कि बिहार की जनता राजनीतिक नीरसता से ऊब चुकी है और नई उम्मीदों की तलाश में है।

चुनाव की तैयारी पूरी, ECI ने मतदाता सूची में किए अहम बदलाव

243 सदस्यों वाली बिहार विधानसभा का कार्यकाल 22 नवंबर को समाप्त हो जाएगा। इसी के साथ चुनाव की तारीखों का ऐलान जल्द ही होने वाला है। चुनाव आयोग ने विशेष जांच के बाद अंतिम मतदाता सूची जारी कर दी है, जिसमें कुल 7.42 करोड़ वोटर शामिल हैं। पिछले सूची से 47 लाख गलत मतदाता हटा दिए गए हैं और 21 लाख नए वोटर जोड़े गए हैं। राजनीतिक दल चाहते हैं कि छठ पूजा के बाद चुनाव हो ताकि प्रवासी वोटर भी वोट दे सकें।

बिहार की जनता का नजरिया: परंपरा से हटकर बदलाव की चाह

इस बार बिहार की जनता चुनाव को सिर्फ सत्ता के लिए नहीं देख रही, बल्कि बदलाव की एक नई उम्मीद के तौर पर देख रही है। युवा वोटर खासतौर पर नए चेहरों और नए नजरिए को तरजीह दे रहे हैं। तेजस्वी यादव की लोकप्रियता में आई गिरावट और प्रशांत किशोर की बढ़ती स्वीकार्यता इसे साफ दिखाती है। नीतीश कुमार के लिए यह चुनौती भरा समय है कि वे अपने आधार को मजबूत करें।