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Up Kiran, Digital Desk: जैसे ही चुनाव आयोग (ECI) ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तारीखों का ऐलान किया, राजनीतिक हलचल अपने चरम पर पहुंच गई। अब सभी पार्टियां जनता को लुभाने की रणनीति में जुट गई हैं। लेकिन सीटों के बंटवारे पर अभी भी NDA और महागठबंधन में सहमति नहीं बनी है।

नीतीश कुमार के नेतृत्व में NDA एक बार फिर सत्ता में वापसी की कोशिश कर रहा है। वहीं दूसरी ओर, तेजस्वी यादव की अगुवाई में विपक्षी महागठबंधन सरकार बनाने का सपना देख रहा है। मुकाबला कांटे का होने वाला है।

सीट बंटवारे पर फंसा पेंच: NDA और महागठबंधन में अंतर्कलह

जहां एक ओर भाजपा और जदयू सीटों के तालमेल को लेकर माथापच्ची कर रही हैं, वहीं राजद, कांग्रेस और वाम दल भी अंतिम फॉर्मूले तक नहीं पहुंच पाए हैं। पिछली बार के मुकाबले इस बार छोटे दलों की भी बड़ी भूमिका हो सकती है। VIP और HAM जैसे दलों की डिमांड ने समीकरणों को और जटिल बना दिया है।

क्या कहता है बिहार का चुनावी इतिहास?

साल 2000:

राजद सबसे बड़ी पार्टी बनी, लेकिन सरकार नहीं बना सकी। नीतीश कुमार ने पहली बार CM पद की शपथ ली लेकिन बहुमत नहीं मिला।

राजद: 124 सीटें

भाजपा: 67 सीटें

समता पार्टी: 34 सीटें

कांग्रेस: 23 सीटें

साल 2005:

दो बार हुए चुनाव, लेकिन अक्टूबर में NDA ने स्पष्ट बहुमत पाया।

जदयू: 88 सीटें

भाजपा: 55 सीटें

राजद: 54 सीटें

साल 2010:

NDA का स्वर्णकाल, भारी बहुमत के साथ सत्ता में लौटा।

जदयू: 115 सीटें

भाजपा: 91 सीटें

राजद: 22 सीटें

साल 2015:

महागठबंधन की शानदार जीत, नीतीश फिर मुख्यमंत्री लेकिन राजद सबसे बड़ी पार्टी बनी।

राजद: 80 सीटें

जदयू: 71 सीटें

भाजपा: 53 सीटें

साल 2020:

कड़े मुकाबले में NDA ने 15 सीटों के मामूली अंतर से चुनाव जीता।

भाजपा: 74 सीटें

जदयू: 43 सीटें

राजद: 75 सीटें