_928869179.png)
Up Kiran, Digital Desk: बिहार की राजनीति में एक नई हलचल मच गई है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की महिला शाखा की प्रदेश अध्यक्ष रितु जायसवाल ने सोमवार को परिहार विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर अपना नामांकन दाखिल कर दिया। इस कदम से बिहार की राजनीति में बगावत का नया अध्याय जुड़ गया है, और राजद के लिए यह एक बड़ा झटका माना जा रहा है।
क्यों बगावत की रितु जायसवाल ने?
रितु जायसवाल ने खुलकर कहा कि राजद ने उन्हें टिकट देने से इनकार कर दिया, जबकि उनका मानना था कि उन्हें पार्टी के भीतर एक उचित स्थान मिलना चाहिए था। उन्होंने इसे राजद नेतृत्व का 'विश्वासघात' करार दिया। 48 वर्षीय जायसवाल ने पत्रकारों से कहा, "पार्टी ने मुझे किसी अन्य निर्वाचन क्षेत्र से लड़ने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन यह मेरे अंतरात्मा के खिलाफ होता। इसलिए, मैंने निर्णय लिया कि मैं परिहार से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल करूंगी।"
रितु जायसवाल: बिहार की जानी-मानी नेता
रितु जायसवाल का राजनीतिक सफर लंबा और संघर्षपूर्ण रहा है। 1 मार्च, 1977 को हाजीपुर में जन्मी जायसवाल बिहार की प्रमुख महिला नेताओं में गिनी जाती हैं। वह पूर्व सिविल सेवक अरुण कुमार की पत्नी हैं, जिन्होंने अपने गाँव की सेवा के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ली थी।
राजनीतिक रूप से, जायसवाल को पंचायत स्तर पर उनकी सक्रियता और जमीनी कामकाजी शैली के लिए 'मुखिया दीदी' के नाम से जाना जाता है। उन्होंने दो बार विधानसभा चुनाव लड़ा है – 2020 में परिहार से, और 2024 में शिवहर से लोकसभा चुनाव लड़ा। हालांकि, वह दोनों बार चुनाव हार गईं, लेकिन उन्हें हमेशा ही जनता का मजबूत समर्थन मिला।
2025 के बिहार चुनाव में टिकट न मिलने का कारण
राजद के पूर्व अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे की बहू रितु जायसवाल ने आरोप लगाया कि पार्टी ने उन्हें 2020 में महज 1,569 मतों से हारने के बावजूद टिकट नहीं दिया। हालांकि, राजद की ओर से इस बारे में कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है कि उन्हें परिहार सीट से क्यों उतारा नहीं गया।
सोमवार को नामांकन दाखिल करते वक्त भावुक रितु जायसवाल ने कहा कि उन्हें राजनीति में साजिश का शिकार बनाया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि पार्टी ने उन्हें बेलसंड सीट से चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन उन्होंने परिहार सीट पर ही अपनी उम्मीदवारी की इच्छा जताई।