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Up Kiran , Digital Desk: "बिहार अब सिर्फ एक कृषि प्रधान राज्य नहीं, बल्कि नवाचार और उद्यमिता की नई प्रयोगशाला बनता जा रहा है।" – यह पंक्ति आज राज्य की बदलती तस्वीर को सबसे अच्छे ढंग से बयां करती है। एक समय था जब बिहार के युवा रोजगार की तलाश में दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु की ओर पलायन करते थे,  मगर अब वही युवा अपने गांव और शहर में रहकर अपना स्टार्टअप शुरू कर रहे हैं और दूसरों को भी रोजगार दे रहे हैं।

राज्य सरकार की स्टार्टअप योजना, खासतौर से बिहार स्टार्टअप नीति 2022, इस बदलाव की बड़ी वजह है। उद्योग विभाग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, अब तक 1,522 स्टार्टअप पंजीकृत हो चुके हैं और इन्हें कुल 62 करोड़ 50 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जा चुकी है। इनमें बड़ी संख्या में महिला उद्यमी और अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग के युवा शामिल हैं, जो अपने-अपने क्षेत्रों में सफलता की नई कहानियाँ लिख रहे हैं।

गांवों तक पहुंचता स्टार्टअप मॉडल

यह योजना सिर्फ शहरी केंद्रों तक सीमित नहीं है। बिहार के ग्रामीण इलाकों में भी स्टार्टअप की संख्या तेजी से बढ़ रही है। यहां के युवा अब खेती, डेयरी, बायोगैस, शहद उत्पादन जैसे परंपरागत क्षेत्रों में भी तकनीक और नवाचार का समावेश कर रहे हैं। उद्योग विभाग ने विशेष रूप से कुछ स्टार्टअप को 13 लाख 30 हजार रुपये की अतिरिक्त सहायता भी दी है, जिससे इनका विस्तार और मजबूत हुआ है।

नीति से परिवर्तन तक

बिहार स्टार्टअप नीति 2017 की शुरुआत एक साहसिक कदम थी,  मगर समय के साथ इसके ढांचे में जरूरी बदलाव कर 2022 में नई नीति को लागू किया गया। यह नीति पहले से अधिक समावेशी, तेज क्रियान्वयन वाली और स्थानीय जरूरतों के अनुसार ढली हुई है। इसका उद्देश्य साफ है – युवाओं की कल्पनाओं को साकार रूप देना और उन्हें अपने सपनों की उड़ान भरने के लिए मंच प्रदान करना।

‘कल्पनाओं को आकार मिल रहा है’ – नीतीश मिश्रा

उद्योग मंत्री नीतीश मिश्रा के अनुसार, "हमारे प्रयासों का केंद्रबिंदु यही है कि युवा अपने सार्थक विचारों को आकार दे सकें। हम स्टार्टअप प्रस्तावों पर गहन मंथन के बाद उन्हें हर आवश्यक सहयोग प्रदान करते हैं।" उन्होंने बताया कि सरकार न केवल वित्तीय सहायता बल्कि मार्गदर्शन, प्रशिक्षण, और मार्केट कनेक्टिविटी जैसे पहलुओं पर भी काम कर रही है।

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