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Up Kiran, Digital Desk: पिछले कुछ दिनों में पाकिस्तान की कूटनीति ने एक बार फिर उलटफेर देखा है, जहां जो लोग पहले भारत के खिलाफ तीखी चेतावनियां दे रहे थे, वे अब बातचीत और सहयोग की बात कर रहे हैं। पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने अचानक तेवर बदला है और भारत से आतंकवाद के खिलाफ मिलकर लड़ाई लड़ने की अपील की है। यह कदम ऐसे समय में आया है जब भारत ने कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आतंकवाद के खिलाफ समर्थन हासिल कर पाकिस्तान को दबाव में ला दिया है।
बिलावल भुट्टो ने हाल ही में इस्लामाबाद के पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट में एक सम्मेलन के दौरान कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच दुश्मनी की भावनाओं को छोड़कर आतंकवाद से निपटने के लिए एकजुट होना आवश्यक है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पाकिस्तान भारत के साथ आतंकवाद के खिलाफ "ऐतिहासिक साझेदारी" के लिए तैयार है। उनके अनुसार, दोनों पड़ोसी देशों को मिलकर एक अरब से अधिक लोगों को आतंकवाद के खतरे से बचाना होगा।
हालांकि, इस अपील के बीच बिलावल ने कश्मीर मुद्दे को भी पुनः छेड़ा और कहा कि इस विवाद को लोगों की इच्छाओं के अनुरूप सुलझाया जाना चाहिए। सिंधु जल समझौते के संदर्भ में उन्होंने यह भी कहा कि पानी को किसी प्रकार का हथियार नहीं बनाना चाहिए। यह उल्लेखनीय है कि बिलावल भुट्टो ने इससे पहले भारत को इस समझौते को बहाल करने के लिए कई बार धमकी भी दी थी।
इतिहास की बात करें तो, बिलावल ने पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में स्पष्ट कहा था कि यदि भारत ने सिंधु जल समझौते को लागू नहीं किया, तो पाकिस्तान एक और युद्ध के लिए तैयार रहेगा। उन्होंने यह भी दावा किया था कि पाकिस्तान भारत की उन तीन नदियों के पानी पर भी अधिकार जताएगा, जिनका उपयोग भारत को करने की अनुमति मिली है। यह बयान जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद आया था, जिसके बाद भारत ने सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए सिंधु जल समझौते को स्थगित कर दिया था।
बिलावल भुट्टो की ये नई पहल और पुराने तेवर दोनों ही दर्शाते हैं कि पाकिस्तान की राजनीति में अभी भी जटिलता बरकरार है। एक तरफ वह आतंकवाद के खिलाफ सहयोग की बात कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ कश्मीर और जल समझौते जैसे विवादित मुद्दों को हवा भी दे रहे हैं। ऐसे में भारत के लिए यह देखना अहम होगा कि पाकिस्तान की इस ‘रंग बदल’ नीति के पीछे असल इरादे क्या हैं।
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