Up kiran,Digital Desk : दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को एक बड़े आतंकी मॉड्यूल का पर्दाफाश करते हुए उमर नबी के चार करीबी सहयोगियों— मुजम्मिल अहमद गनई, अदील अहमद राथर, शाहीन सईद अंसारी और मुफ्ती इरफान अहमद वागय— को 10 दिन की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की हिरासत में भेज दिया है. इस मामले में जो खुलासा हुआ है, वह बेहद चौंकाने वाला है. जांच में सामने आया है कि गिरफ्तार किए गए ये लोग पेशे से डॉक्टर हैं और इन्हें विदेशी हैंडलरों द्वारा बम बनाने की ट्रेनिंग दी जा रही थी.
एन्क्रिप्टेड ऐप पर भेजे गए बम बनाने के 42 वीडियो
जांच में यह भी सामने आया है कि अल फलाह मेडिकल कॉलेज के इन डॉक्टरों के तीन विदेशी हैंडलर थे. इनमें से हंजुल्लाह नाम के एक हैंडलर ने गिरफ्तार डॉक्टर मुजम्मिल अहमद गनई को एन्क्रिप्टेड ऐप्स के जरिए बम बनाने के 42 वीडियो भेजे थे. जांचकर्ताओं का मानना है कि इन हैंडलर्स ने आरोपी को DIY (Do It Yourself) तरीके से बम बनाने में पूरी मदद की. अब सुरक्षा एजेंसियां इन हैंडलर्स की पहचान और भूमिका की गहन जांच कर रही हैं, क्योंकि भारत में हाल ही में हुए कई बम धमाकों में इसी तरह का तरीका अपनाया गया है. दिल्ली मामले में शामिल हैंडलर्स की पहचान हंजुल्लाह, निसार और उकासा के रूप में हुई है, हालांकि माना जा रहा है कि यह उनके असली नाम नहीं हैं.
2500 किलो विस्फोटक हुआ था बरामद
मामले की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मुजम्मिल गनई को एक संभावित विस्फोट से 10 दिन पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया था. उसके ठिकाने से 2,500 किलो से ज़्यादा विस्फोटक सामग्री बरामद हुई थी, जिसमें 350 किलो अमोनियम नाइट्रेट भी शामिल था.
बेंगलुरु से दिल्ली तक एक ही साजिश?
इस मामले के तार कर्नाटक और तमिलनाडु में हुए हालिया बम धमाकों से जुड़ते दिख रहे हैं. जांच में मोहम्मद शाहिद फैजल नाम के एक और विदेशी हैंडलर का नाम सामने आया है, जो 'कर्नल', 'लैपटॉप भाई' और 'भाई' जैसे कोडनेम का इस्तेमाल करता था. माना जाता है कि फैजल 2020 से कर्नाटक और तमिलनाडु में सक्रिय आतंकी मॉड्यूल को बम धमाकों के लिए निर्देश दे रहा था.
फैजल का नाम इन बड़ी घटनाओं में सामने आया है:
कौन है यह 'कर्नल' उर्फ फैजल?
जांचकर्ताओं के मुताबिक, फैजल बेंगलुरु का एक इंजीनियरिंग ग्रेजुएट है जो 2012 में 28 साल की उम्र में लापता हो गया था. यह घटना बेंगलुरु में लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े एक आतंकी मॉड्यूल के भंडाफोड़ के बाद हुई थी. माना जाता है कि सुरक्षा एजेंसियों के शिकंजे से बचने के लिए वह पाकिस्तान भाग गया.
वहीं, दिल्ली आतंकी मॉड्यूल के एक और हैंडलर 'उकासा' के तुर्की में होने का शक है. सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि इन सभी घटनाओं में हैंडलर्स के काम करने का तरीका एक जैसा है और इसके पीछे एक बड़ा नेटवर्क हो सकता है.
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