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नई दिल्ली: भारत की रक्षा ताकत की प्रतीक ब्रह्मोस और आकाश मिसाइलों की वीरता अब सिर्फ सेना के दस्तावेजों तक सीमित नहीं रहेगी। केंद्र सरकार ने निर्णय लिया है कि इन अत्याधुनिक मिसाइल प्रणालियों की जानकारी और उनके ऐतिहासिक महत्व को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। इसका उद्देश्य छात्रों में वैज्ञानिक सोच, तकनीकी समझ और राष्ट्र के प्रति गर्व की भावना को बढ़ाना है।

मानव संसाधन विकास मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय के संयुक्त प्रयास से यह पहल शुरू की जा रही है। प्रस्तावित पाठ्यक्रम में इन मिसाइलों के विकास, तकनीकी विशेषताओं और इनके रणनीतिक महत्व को सरल भाषा में प्रस्तुत किया जाएगा, ताकि माध्यमिक कक्षा के छात्र भी इन्हें आसानी से समझ सकें।

ब्रह्मोस मिसाइल, जिसे दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल माना जाता है, भारत और रूस की संयुक्त परियोजना है। इसकी मारक क्षमता और सटीकता ने भारत की सैन्य ताकत को नई ऊंचाइयां दी हैं। वहीं, आकाश मिसाइल एक स्वदेशी विकसित सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली है, जो भारतीय वायुसेना और थलसेना का अभिन्न हिस्सा बन चुकी है।

विशेषज्ञों का मानना है कि इन मिसाइलों की जानकारी बच्चों को न सिर्फ प्रेरित करेगी, बल्कि उन्हें विज्ञान, रक्षा अनुसंधान और तकनीकी नवाचार के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए भी प्रोत्साहित करेगी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “हम चाहते हैं कि बच्चे सिर्फ किताबें ही नहीं पढ़ें, बल्कि देश की वैज्ञानिक उपलब्धियों को भी जानें और उन पर गर्व करें।”

बताया जा रहा है कि इस पाठ्यक्रम में 1999 के करगिल युद्ध के बाद भारत की रक्षा नीतियों में हुए बदलावों, और पाकिस्तान पर इन मिसाइलों के मनोवैज्ञानिक प्रभाव का भी उल्लेख किया जाएगा। विशेषज्ञों के अनुसार, भारत की ब्रह्मोस जैसी मिसाइलों की शक्ति ने कई बार दुश्मन देशों को पीछे हटने पर मजबूर किया है।

यह पहल न सिर्फ शैक्षणिक दृष्टिकोण से अहम है, बल्कि आने वाली पीढ़ी को देश की सैन्य उपलब्धियों से जोड़ने का एक सशक्त माध्यम भी बनेगी।
 

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