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उत्तराखंड के रुद्रपुर में हाल ही में एक ऐसी घटना ने सबका ध्यान खींचा, जिसने विकास और विरासत के बीच के टकराव को फिर से उजागर कर दिया। शहर के इंदिरा चौक पर दशकों पुरानी सैय्यद मासूम शाह मिया और सज्जाद मिया की मजार को पुलिस, प्रशासन और एनएचएआई की संयुक्त टीम ने बुलडोजर से ढहा दिया। इस कार्रवाई के दौरान भारी पुलिस बल तैनात रहा, यातायात को रोका गया और मीडिया को भी दूर रखा गया। लेकिन सवाल ये है क्या सड़क चौड़ीकरण के लिए ऐतिहासिक धरोहरों को इस तरह मिटाना जायज है?

भारी सुरक्षा के बीच मजार ढहाई

शहर में सवेरे सवेर पुलिस, प्रशासन, नगर निगम और एनएचएआई की संयुक्त टीम ने इंदिरा चौक पर बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया। भारी पुलिस बल की मौजूदगी में बुलडोजर चलाकर मजार को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया गया। इस दौरान इंदिरा चौक से डीडी चौक तक यातायात को पूरी तरह बंद कर दिया गया और वाहनों को काशीपुर बायपास और किच्छा बायपास से डायवर्ट किया गया।

कार्रवाई को इतना गोपनीय रखा गया कि आसपास की दुकानों को सुबह खोलने की इजाजत नहीं दी गई। मीडिया कर्मियों को भी नगर निगम गेट पर रोक दिया गया। एसएसपी मणिकांत मिश्रा, एसपी सिटी उत्तम सिंह नेगी, एसपी क्राइम निहारिका तोमर और एडीएम पंकज उपाध्याय जैसे वरिष्ठ अधिकारी मौके पर मौजूद रहे, जिससे इस कार्रवाई की गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है।

प्रशासन के मुताबिक, ये कार्रवाई सड़क चौड़ीकरण के लिए जरूरी थी। रुद्रपुर में आठ लेन की सड़क बनाने का प्रोजेक्ट चल रहा है और मजार इस निर्माण के आड़े आ रही थी। अफसरों ने बताया कि इस धार्मिक संरचना को हटाने के लिए पहले ही नोटिस जारी किया गया था।

एक एनएचएआई अधिकारी ने कहा कि ये प्रोजेक्ट शहर के ट्रैफिक को सुगम बनाने और विकास को गति देने के लिए जरूरी है। नोटिस के बाद भी कोई जवाब नहीं मिला, इसलिए कार्रवाई करनी पड़ी।

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