Up Kiran, Digital Desk: विश्व अल्ज़ाइमर दिवस के मौके पर एक गंभीर चेतावनी सामने आई है। भारतीय तंत्रिका विज्ञान अकादमी के कार्यकारी सदस्य और आपदा मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. नरेश पुरोहित ने बताया कि भारत में बुज़ुर्ग आबादी के बढ़ने के साथ-साथ अल्ज़ाइमर रोग के मामले भी चिंताजनक स्तर तक पहुंच रहे हैं।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में देश में लगभग 88 लाख लोग अल्ज़ाइमर से पीड़ित हैं और अगर यही रफ्तार रही तो 2036 तक यह आंकड़ा 1.7 करोड़ को पार कर सकता है। उन्होंने विशेष रूप से बताया कि ओडिशा और जम्मू-कश्मीर में इसके सबसे ज़्यादा मामले दर्ज किए गए हैं।
AIIMS बिलासपुर द्वारा आयोजित एक मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम में मस्तिष्क अपक्षयी रोगों पर बोलते हुए उन्होंने बताया कि अल्ज़ाइमर और मनोभ्रंश (Dementia) दोनों ही रोग न केवल पीड़ित व्यक्ति बल्कि उनके परिवार और समाज पर भी भारी प्रभाव डालते हैं।
डॉ. पुरोहित ने बताया कि इस पहाड़ी राज्य में अल्ज़ाइमर के साथ मनोविकृति के मामले भी लगातार बढ़ रहे हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि हर 10 में से 3 अल्ज़ाइमर मरीज़, मानसिक भ्रम और मनोविकृति का भी सामना कर रहे हैं।
समस्या क्यों बढ़ रही है?
विशेषज्ञों के अनुसार, अल्ज़ाइमर की जड़ें मधुमेह, हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल, मोटापा और डिप्रेशन जैसी आम बीमारियों से जुड़ी हैं। डॉ. पुरोहित ने कहा कि अगर इन्हें मध्यम आयु (40-50 वर्ष) में नियंत्रित किया जाए, तो आगे चलकर अल्ज़ाइमर का खतरा काफी हद तक टाला जा सकता है।
शुरुआती लक्षणों को न करें नज़रअंदाज़
डॉ. पुरोहित ने चेतावनी दी कि अल्ज़ाइमर के लक्षण धीरे-धीरे शुरू होते हैं, जैसे:
रोज़मर्रा की बातें भूलना
अपॉइंटमेंट या जरूरी चीजें भूल जाना
समान शब्दों की जगह गलत शब्दों का इस्तेमाल
सामान गलत जगह पर रखना
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