
Up Kiran, Digital Desk: साल 1962 में चीन के साथ हुए युद्ध को भारत के इतिहास का एक ऐसा अध्याय माना जाता है, जिसे कोई याद नहीं करना चाहता। इस युद्ध में मिली हार की टीस आज भी हर भारतीय के दिल में है। दशकों से विशेषज्ञ इस हार के कारणों का विश्लेषण कर रहे हैं, लेकिन अब देश के सर्वोच्च सैन्य अधिकारी, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने एक ऐसा बयान दिया है, जिसने इस बहस को एक नई दिशा दे दी है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा है कि अगर 1962 के युद्ध में भारतीय वायुसेना (IAF) को आक्रामक भूमिका में इस्तेमाल किया गया होता, तो युद्ध के परिणाम कुछ और हो सकते थे और चीनी सेना की बढ़त को काफी हद तक धीमा किया जा सकता था।
क्या थी वो 'ऐतिहासिक गलती'?
CDS जनरल अनिल चौहान ने 14वें मेजर जनरल समीर सिन्हा मेमोरियल लेक्चर में बोलते हुए 1962 की लड़ाई के सबसे बड़े 'अगर-मगर' पर से पर्दा उठाया। उन्होंने कहा कि उस समय के राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व ने एक बड़ी गलती की। यह गलती थी- भारतीय वायुसेना की ताकत को न पहचानना और उसे केवल परिवहन और रसद पहुंचाने के काम तक ही सीमित रखना।
उन्होंने बताया, "यह डर था कि अगर भारत ने अपने लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल किया तो चीन भी जवाबी कार्रवाई करेगा और युद्ध का दायरा बढ़ जाएगा, जिससे हमारे नागरिक क्षेत्रों पर बमबारी हो सकती है। इस आशंका के कारण, हमारी वायुसेना के शक्तिशाली लड़ाकू विमानों को जमीन पर ही रखा गया।"
अगर आसमान में उड़ते हमारे फाइटर जेट...
CDS चौहान ने जोर देकर कहा कि अगर वायुसेना को खुली छूट दी गई होती तो तस्वीर पूरी तरह बदल जाती:
जनरल चौहान ने स्पष्ट किया कि 1962 की हार से मिला यह सबसे बड़ा सबक है कि किसी भी भविष्य के संघर्ष में अपनी वायु शक्ति का पूर्ण और निर्णायक रूप से उपयोग करना कितना महत्वपूर्ण है।
आज का भारत 1962 का भारत नहीं है
CDS का यह बयान सिर्फ इतिहास का विश्लेषण नहीं है, बल्कि यह वर्तमान चीन को भी एक कड़ा संदेश है। यह बताता है कि आज का भारत अपनी पिछली गलतियों से सीख चुका है। आज भारत के पास राफेल, सुखोई-30MKI और स्वदेशी तेजस जैसे अत्याधुनिक लड़ाकू विमान हैं और भारतीय सशस्त्र बल (थल सेना, नौसेना और वायुसेना) किसी भी खतरे का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए एकजुट होकर काम करने के लिए पहले से कहीं ज्यादा तैयार हैं। 1962 की गलती अब कभी नहीं दोहराई जाएगी, और भारत के आसमान की रक्षा करने के लिए हमारी वायुसेना पूरी तरह सक्षम और स्वतंत्र है।