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CGST Corruption exposed : केस-1. केंद्रीय वस्तु एवं सेवाकर आयुक्तालय, कानपुर के निरीक्षक शिव कुमार ने अगस्त 2019 को केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर बोर्ड एवं सीमा शुल्क के तत्कालीन अध्यक्ष प्रनब कु0 दास को पत्र लिखकर करप्शन और क्रिमिनल कॉंस्पिरेसी रिलेटेड मामलों का खुलासा किया और इस तरह के एक-दो नहीं बल्कि सिलसिलेवार दर्जनों पत्र लिखें। अब तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि उन शिकायतों पर क्या कार्रवाई हुई।
केस-2. आल इंडिया सेंट्रल एक्साइज इंस्पेक्टर्स एसोसिएशन, लखनऊ सर्किल, लखनऊ के महामंत्री अभिजात श्रीवास्तव ने 13 सितम्बर 2022 को वित्त मंत्री को पत्र लिखकर लखनऊ जोन में गैर मौजूद सैकड़ों पदों पर प्रमोशन के मामले में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए जांच की मांग की। उनकी शिकायत पर जांच शुरू होने की बात तो दूर है। अभिजात के खिलाफ विभागीय जांच शुरू हो गई और उन्हें मार्च 2024 में निरीक्षक पद से बर्खास्त कर दिया गया।
कार्रवाई के मापदंड अलग
ऐसा नहीं कि सीजीएसटी के अफसरों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतें नहीं होती रही है। पर कार्रवाई के मापदंड अलग अलग हैं। पहले मामले में शिकायतकर्ता पर कोई कार्रवाई नहीं की गई, जबकि दूसरे मामले में आल इंडिया सेंट्रल एक्साइज इंस्पेक्टर्स एसोसिएशन, लखनऊ सर्किल, लखनऊ के महामंत्री अभिजात श्रीवास्तव को बर्खास्त कर दिया गया। दोनों शिकायतों पर काफी अंतर है। पहली शिकायत व्यक्तिगत स्तर पर की गई, जबकि दूसरी शिकायत में एसोसिएशन की तरफ से विभाग में भ्रष्टाचार का खुलासा किया गया।
भ्रष्टाचार का खुलासा करने पर बर्खास्त
यह हाल तब है जब पीएम नरेंद्र मोदी सरकार करप्शन के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति अपना रही है। देश भर में जांच एजेंसियों की ताबड़तोड़ कार्रवाई जारी है। पर सीजीएसटी के अफसरों पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों पर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है। उल्टे भ्रष्टाचार का खुलासा करने वालों पर ही कार्रवाई की जा रही है। तत्कालीन सीजीएसटी इंस्पेक्टर अभिजात श्रीवास्तव की बर्खास्तगी इसका ताजा उदारहण है।
अभिजात श्रीवास्तव ने की थी ये शिकायत
दरअसल, कुछ साल पहले कैडर पुनर्गठन के दौरान मौजूद पदों से ज्यादा संख्या में प्रमोशन हुए। अभिजात श्रीवास्तव ने इसी मामले की शिकायत करते हुए कहा कि अफसरों ने बड़े पैमाने पर अनियमितताएं कर लोगों को प्रमोट किया। इसका मतलब यह है कि बड़े पैमाने पर पैसे की बंदरबाट की गई। सरकारी खजाने का भारी नुकसान हुआ। लखनऊ क्षेत्र के निरीक्षकों के साथ बड़ा अन्याय हुआ है। आलम यह है कि अलग-अलग जोन में 2014 बैच के इंस्पेक्टर अधीक्षक बन गये हैं, जबकि यहां 2003 बैच के इंस्पेक्टर अभी भी अपने पहले प्रमोशन का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने इस पूरे मामले में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने का अनुरोध भी किया था। बस उनकी यही बात अफसरों को नागवार गुजरी।
इस बारे में बात करने के लिए प्रिंसिपल चीफ कमिश्नर प्रमोद कुमार से 0522-22...36 और आधिकारिक ई मेल आईडी के जरिए मामले के संबंध में जानकारी की कोशिश की गई। पर कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला।