यूपी विधानसभा की घोसी सीट पर हुए उपचुनाव काफी रोमांचक काली रहा। घोसी उपचुनाव का परिणाम लोकसभा चुनाव को प्रभावित करे या ना करे मगर इतना जरूर है कि घोसी वासियों ने अपने उस नेता को नकार दिया जिसे पिछले आम चुनाव 2022 में सरउद्धार किया था। इससे भी रोचक घोसी उपचुनाव में ये रहा कि मैदान में उतरे छह उम्मीदवारों को नोटा नहीं हरा दिया। इन छह उम्मीदवारों समेत आठ उम्मीदवारों की जमानत भी जब्त हो गई है।
घोसी उपचुनाव में जीत दर्ज करवाकर समाजवादी पार्टी एक बार फिर गर्मजोशी में दिख रही है और आने वाले चुनाव में विजयी होने से सुखद उम्मीदें लगाए हुए है। अब सवाल ये है कि जिस उपचुनाव में सरकार से लेकर संगठन ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी उस उपचुनाव में वो विजयी क्यों नहीं हुए और क्या कारण रहा कि घोसी उपचुनाव में दारा सिंह को घोसी के वोटरो ने ना कह दिया।
मतदान से पहले भाजपा के प्रचार कार्यक्रम में पार्टी के बड़े बड़े नेताओं ने जोर आजमाया। यहां तक कि सरकार से सीएम योगी और डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक समेत अन्य मंत्री नेताओं ने जोर भरा। मगर घोसी की जनता की नाराजगी दारा सिंह से ही थी। दारा सिंह विधानसभा चुनाव 202 में सपा से विधायक बने थे, मगर अपनी सियासी छवि चमकाने के मोह में उन्होंने जनता को उपचुनाव में धकेल दिया और शायद यही कारण दारा सिंह की हार की अहम वजह बन गई।
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