
Up Kiran, Digital Desk: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य में कानून व्यवस्था को मजबूत करने और अपराध समाधान को तेज करने के लिए उठाए गए कदमों पर प्रकाश डाला है। उन्होंने कहा कि 2017 से पहले प्रदेश में केवल चार 'अव्यवस्थित' फोरेंसिक प्रयोगशालाएं थीं, लेकिन अब 12 आधुनिक प्रयोगशालाएं स्थापित हो चुकी हैं और छह अन्य निर्माणाधीन हैं। मुख्यमंत्री ने पुलिस कर्मियों को प्रोत्साहित करते हुए कहा, "भविष्य के लिए एक सुरक्षित और तकनीकी रूप से सशक्त समाज के निर्माण हेतु यूपी पुलिस को आधुनिक तकनीकों के साथ स्वयं को लगातार उन्नत करते रहना चाहिए।"
ये बातें मुख्यमंत्री ने लखनऊ में उत्तर प्रदेश राज्य विधि विज्ञान संस्थान (UPSIFS) के तीसरे स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित 'साइबर युद्ध के आयाम, बहुपक्षीय कानूनी ढांचा, फोरेंसिक और रणनीतिक प्रतिवाद' पर तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन के उद्घाटन के दौरान कहीं।
साइबर अपराध से मुकाबले के लिए मजबूत ढांचा:
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बताया कि प्रदेश के सभी 75 जिलों में मोबाइल फोरेंसिक यूनिट तैनात की जा चुकी हैं। इसके अतिरिक्त, पूरे प्रदेश में साइबर पुलिस स्टेशन स्थापित किए गए हैं। इतना ही नहीं, 1,587 पुलिस स्टेशनों में साइबर हेल्प डेस्क भी खोले गए हैं, जहां मास्टर ट्रेनरों की मदद से मामलों का समाधान किया जा रहा है।
फोरेंसिक साक्ष्य हुआ अनिवार्य:
मुख्यमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि 2017 के बाद से, हर अपराध को सुलझाने में फोरेंसिक साक्ष्य को अनिवार्य बना दिया गया है। उन्होंने कहा, "जुलाई 2024 से, सात साल से अधिक की सजा वाले सभी मामलों में फोरेंसिक साक्ष्य अनिवार्य हो गया है।" उन्होंने यह भी बताया कि उत्तर प्रदेश पुलिस ने साइबर अपराध से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए एक साइबर मुख्यालय स्थापित करने की दिशा में कदम उठाए हैं।
24-48 घंटे में अपराधियों की गिरफ्तारी का दावा:
मुख्यमंत्री ने दावा किया कि 2017 से पहले जहां अपराधियों को पकड़ने में सालों लग जाते थे, वहीं अब तकनीक और फोरेंसिक विज्ञान की मदद से उत्तर प्रदेश पुलिस 24 से 48 घंटों के भीतर अपराधियों को पकड़ने में सफल हो रही है।
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