Up Kiran, Digital Desk: उत्तर प्रदेश के CM योगी ने शुक्रवार को कड़ी प्रतिक्रिया जताते हुए कहा कि कुछ असामाजिक तत्व कांवड़ यात्रा जैसे धार्मिक अभियान को बदनाम करने के लिए सोशल मीडिया का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। वाराणसी में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी के मंच से उन्होंने समाज को बांटने वाली सोच पर जमकर निशाना साधा और साथ ही भारत की सांस्कृतिक विरासत की रक्षा करने वाले जनजातीय समाज के योगदान को भी रेखांकित किया।
सोशल मीडिया पर 'मीडिया ट्रायल' से नाखुश योगी
CM योगी ने कहा कि आजकल कुछ लोग फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट बनाकर कांवड़ यात्रा में शामिल श्रद्धालुओं को 'उपद्रवी' और 'आतंकी' जैसे शब्दों से संबोधित कर रहे हैं जो बेहद निंदनीय है। उन्होंने ये भी स्पष्ट किया कि कांवड़ यात्रा को बदनाम करने के लिए जानबूझकर कुछ पुराने या तोड़मरोड़ कर पेश किए गए वीडियो वायरल किए जा रहे हैं, जिनमें कांवड़ियों को ढाबों, स्कूल बसों या अन्य वाहनों में तोड़फोड़ करते दिखाया गया है।
सीएम योगी ने ऐसे प्रयासों को ‘मीडिया ट्रायल’ की संज्ञा दी और कहा कि यह सिर्फ एक धार्मिक परंपरा नहीं बल्कि भारत की एकता और आस्था का प्रतीक है जिसे निरंतर निशाना बनाया जा रहा है।
“हर-हर बम-बम” का नारा, जात-पात से परे एक भक्ति यात्रा
योगी ने कांवड़ यात्रा को सामाजिक समरसता का अद्भुत उदाहरण बताते हुए कहा, "यह एक ऐसा अभियान है जिसमें न कोई जाति देखी जाती है, न धर्म और न ही वर्ग का भेद। हर कोई ‘हर-हर बम-बम’ के जयघोष के साथ सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा करता है, शिवभक्ति में लीन होकर गंगाजल लाता है। इसके बावजूद कुछ लोग इसे केवल नकारात्मकता के चश्मे से देख रहे हैं।"
उन्होंने कहा कि यूपी सरकार ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि किसी धार्मिक आयोजन में अस्त्र-शस्त्र का उपयोग नहीं होगा और इसी वजह से कांवड़ यात्रा शांतिपूर्ण और भव्य रूप से संपन्न हो रही है।
जनजातीय समाज: भारत की अस्मिता का रक्षक
CM योगी ने अपने संबोधन में कांवड़ यात्रा के साथ-साथ जनजातीय समुदाय के ऐतिहासिक योगदान को भी रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि यह समाज केवल जंगलों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि हर कालखंड में भारत की रक्षा और संस्कृति के संरक्षण के लिए अग्रिम मोर्चे पर खड़ा रहा है।
योगी ने त्रेता युग का उदाहरण देते हुए कहा कि जब माता सीता का हरण हुआ, तब भगवान राम के पास कोई औपचारिक सेना नहीं थी। लेकिन जनजातीय समाज ने राम के साथ मिलकर रावण से युद्ध लड़ा। इसी तरह महाराणा प्रताप ने जब अकबर के विरुद्ध संघर्ष किया, तब अरावली के जंगलों में जनजातीय समाज ने उनका भरपूर साथ दिया।
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