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Up Kiran, Digital Desk: शिक्षक दिवस (5 सितंबर) की पूर्व संध्या पर, दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने शिक्षकों से एक बेहद ज़रूरी और दिल को छू लेने वाली अपील की. उन्होंने कहा कि एक शिक्षक का काम सिर्फ पाठ्यक्रम पूरा करना नहीं, बल्कि बच्चों को ऐसा भविष्य का लीडर बनाना है, जिनकी जड़ें अपनी संस्कृति और संस्कारों में गहरी हों.
एनडीएमसी द्वारा आयोजित एक शिक्षक सम्मान समारोह में बोलते हुए, मुख्यमंत्री ने कहा कि बच्चों को देश की असली ताकत से परिचित कराने की ज़िम्मेदारी शिक्षकों के कंधों पर है.
'स्वदेशी' का मतलब समझाना ज़रूरी
मुख्यमंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि स्कूली बच्चों को यह सिखाना बहुत ज़रूरी है कि 'स्वदेशी' का असली मतलब क्या होता है.
उन्होंने कहा, "बच्चों को यह पता होना चाहिए कि जब हम दूसरे देशों में बना सामान खरीदते हैं, तो उसका हमारे देश के छोटे-छोटे व्यापारियों और कारीगरों पर क्या असर पड़ता है. उन्हें देश में बनी चीज़ों का महत्व समझना होगा."
प्रकृति से जोड़ें, यमुना के दर्द को महसूस कराएं
रेखा गुप्ता ने पर्यावरण के मुद्दे पर भी बात की. उन्होंने शिक्षकों से कहा कि वे बच्चों को प्रकृति से जोड़ें और उन्हें पानी बचाने, पेड़ न काटने और नदियों-पहाड़ों का सम्मान करने की सीख दें.
दिल्ली की जीवन रेखा, यमुना नदी की दयनीय स्थिति पर दुख जताते हुए उन्होंने कहा, "अगर आज यमुना नदी मेरे सामने आ जाए, तो मैं उससे माफ़ी मांगूंगी, क्योंकि उसकी इस प्रदूषित हालत के लिए हम सब ज़िम्मेदार हैं. उसके गंदे पानी के लिए हम सबने मिलकर उसे इस हाल में पहुंचाया है. इसे ठीक करने के लिए भी हम सबको ही एक साथ आना होगा."
उनका संदेश साफ़ था कि शिक्षक केवल क्लासरूम तक ही सीमित न रहें, बल्कि वे छात्रों के अंदर अपने देश, अपनी संस्कृति और अपनी प्रकृति के प्रति प्रेम और ज़िम्मेदारी की भावना जगाएं. यही बच्चे जब बड़े होकर लीडर बनेंगे, तभी देश का सुनहरा भविष्य सुनिश्चित हो पाएगा.