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Up Kiran, Digital Desk: हाल ही में टॉलीवुड के जाने-माने अभिनेता अल्लू अर्जुन को 'गद्दर अवार्ड' से सम्मानित किया गया। यह अवार्ड महान दिवंगत क्रांतिकारी कवि और गायक गद्दर के नाम पर 'गद्दर फाउंडेशन' द्वारा दिया गया है। लेकिन इस सम्मान को लेकर अब राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) ने इस फैसले पर कड़ी आपत्ति जताते हुए गहरी नाराजगी व्यक्त की है।

सीपीआई की नाराजगी की मुख्य वजह है अल्लू अर्जुन का एक खास फिल्म, 'रजाकार', से कथित जुड़ाव। यह फिल्म तेलंगाना के इतिहास के एक संवेदनशील दौर, यानी निज़ाम शासन और रजाकारों के अत्याचारों पर आधारित बताई जाती है। सीपीआई का मानना है कि गद्दर साहब ने अपना पूरा जीवन गरीबों, मज़दूरों और दलितों के हकों के लिए संघर्ष करते हुए बिताया। वे धर्मनिरपेक्षता के बड़े पैरोकार थे और उन्होंने तेलंगाना के सशस्त्र संघर्ष में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो सामंती ताकतों और रजाकारों के खिलाफ था।

सीपीआई नेताओं, जैसे चाड़ा वेंकट रेड्डी और कुन्नमनेनी सम्बाशिव राव, का कहना है कि एक ऐसे व्यक्ति को गद्दर के नाम पर अवार्ड देना, जिसका संबंध 'रजाकार' जैसी फिल्म से बताया जा रहा है (और जिसे लेकर इतिहास की प्रस्तुति पर सवाल उठ रहे हैं), यह सीधे तौर पर गद्दर के सिद्धांतों और संघर्ष का अपमान है। वे मानते हैं कि यह फैसला गद्दर की विरासत के बिल्कुल विपरीत है।

सीपीआई ने 'गद्दर फाउंडेशन' से मांग की है कि वे इस अवार्ड पर फिर से विचार करें या इसे वापस ले लें। उनका कहना है कि अगर गद्दर के नाम से कोई अवार्ड दिया जा रहा है, तो वह ऐसे व्यक्ति को मिलना चाहिए जो उनके मूल्यों, विचारों और संघर्षों का सच्चा सम्मान करता हो, न कि ऐसे किसी काम से जुड़ा हो जिसे वे खुद शायद स्वीकार नहीं करते।

यह पूरा मामला दिखा रहा है कि इतिहास, कला और सम्मान, ये सभी कैसे संवेदनशील राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों से जुड़ सकते हैं। सीपीआई की आपत्ति ने अल्लू अर्जुन को मिले 'गद्दर अवार्ड' को एक विवाद का विषय बना दिया है।

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