
Up Kiran, Digital Desk: हर साल 13 अगस्त को विश्व अंगदान दिवस (World Organ Donation Day) मनाया जाता है। यह दिन लोगों को अंगदान के महत्व के बारे में जागरूक करने, इससे जुड़े भ्रमों को दूर करने और उन महान आत्माओं को सम्मानित करने के लिए समर्पित है जिन्होंने दूसरों के जीवन को बचाने के लिए अपने अंगों का दान किया। यह दिवस हमें याद दिलाता है कि एक व्यक्ति का छोटा सा प्रयास किसी जरूरतमंद के लिए जीवनदान साबित हो सकता है।
विश्व अंगदान दिवस का इतिहास और महत्व
विश्व अंगदान दिवस 13 अगस्त को मनाने के पीछे एक खास वजह है - यह उस दिन की याद दिलाता है जब पहली बार एक सफल अंग प्रत्यारोपण (organ transplant) हुआ था। साल 1931 में, रोनाल्ड ली हेरिक (Ronald Lee Herrick) नामक व्यक्ति ने अपने जुड़वां भाई रिचर्ड (Richard) को अपना एक गुर्दा (kidney) दान किया था। यह अंगदान किसी के लिए जीवनदान साबित हुआ।
इस ऐतिहासिक सर्जरी को डॉ. जोसेफ मरे (Joseph Murray) और डॉ. जॉन मेरिल (John Merrill) ने अंजाम दिया था। उनके इस अभूतपूर्व कार्य के लिए उन्हें 1990 में चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इसी कारण, हर साल 13 अगस्त को विश्व अंगदान दिवस के रूप में मनाया जाता है, ताकि लोगों को अंगदान के लिए प्रेरित किया जा सके और अंगदान को एक पुनीत कार्य के रूप में बढ़ावा दिया जा सके।
अंगदान क्यों है इतना महत्वपूर्ण?
भारत जैसे देश में, जहां अंग प्रत्यारोपण की आवश्यकता वाले मरीजों की संख्या बहुत अधिक है, अंगदान एक जीवन रक्षक वरदान साबित होता है। हृदय, गुर्दे, यकृत, फेफड़े, अग्न्याशय और कॉर्निया जैसे अंगों का दान कई लोगों को नई जिंदगी दे सकता है। अंगदान से न केवल शारीरिक जीवन मिलता है, बल्कि यह उन परिवारों के लिए भी एक बड़ी राहत होती है जो अपने प्रियजनों को गंभीर बीमारियों से जूझते हुए देखते हैं।
भारत में अंगदान की स्थिति
भारत में अंगदान की प्रक्रिया को बढ़ावा देने के लिए सरकार और विभिन्न संगठन लगातार प्रयास कर रहे हैं। भारत में पहला सफल अंग प्रत्यारोपण 3 अगस्त, 1994 को हुआ था। आज, भारत अंग प्रत्यारोपण के कुल मामलों में दुनिया में तीसरे स्थान पर आता है, जो संयुक्त राज्य अमेरिका (US) और चीन के बाद है। यह एक सराहनीय उपलब्धि है, लेकिन आज भी लाखों लोग अंग प्रत्यारोपण की सूची में हैं। इसलिए, अंगदान के प्रति जागरूकता बढ़ाना और अधिक से अधिक लोगों को इसके लिए प्रेरित करना अत्यंत आवश्यक है।
अंगदान के बारे में कुछ सामान्य मिथक और उनकी सच्चाई
मिथक: अंगदान से शरीर की मृत्यु हो जाती है।
सच्चाई: अंगदान केवल तभी संभव है जब किसी व्यक्ति की मस्तिष्क मृत्यु (brain death) हो गई हो, और जीवन रक्षक प्रणाली (life support system) पर उसे जीवित रखा गया हो। शरीर के अन्य अंग तब भी कार्य करते हैं।
मिथक: दान किए गए अंग अमीर या विशेष लोगों को ही मिलते हैं।
सच्चाई: अंग दान प्राप्तकर्ताओं का चयन चिकित्सा आवश्यकता, ऊतक अनुकूलता (tissue compatibility) और प्रतीक्षा सूची के आधार पर एक पारदर्शी प्रणाली के तहत किया जाता है, न कि किसी की आर्थिक या सामाजिक स्थिति के आधार पर।
मिथक: अंगदान से मेरे धर्म की मान्यताओं के खिलाफ है।
सच्चाई: दुनिया के प्रमुख धर्मों में अंगदान को एक महान और परोपकारी कार्य माना गया है।
आप कैसे अंगदान कर सकते हैं?
आप अंगदान करने का संकल्प लेकर और अपने परिवार को सूचित करके इस नेक कार्य में योगदान दे सकते हैं। भारत में, MOHFW (Ministry of Health and Family Welfare) द्वारा संचालित 'नैट्राल' (NOTTO - National Organ and Tissue Transplant Organisation) इस प्रक्रिया को व्यवस्थित करता है।
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