_1564141356.jpg)
Up Kiran, Digital Desk: कैंसर शब्द सुनते ही किसी के भी मन में डर बैठ जाता है. ज़्यादातर लोग इसे बड़ी उम्र की बीमारी मानते हैं, लेकिन सच यह है कि यह बच्चों को भी अपनी चपेट में ले सकता है. भारत में हर साल बच्चों में कैंसर के 50,000 से ज़्यादा नए मामले सामने आते हैं.
लेकिन, अच्छी ख़बर यह है कि अगर सही समय पर इसका पता चल जाए, तो बच्चों में होने वाले ज़्यादातर कैंसर पूरी तरह से ठीक हो सकते हैं. स्टडीज़ बताती हैं कि 80% से ज़्यादा मामलों में, समय पर इलाज मिलने से बच्चे ठीक हो जाते हैं. इसलिए, माता-पिता का जागरूक रहना बहुत ज़रूरी है.
पुणे के एक अस्पताल में बच्चों के डॉक्टर, गणेश शिवरकर का कहना है, "बच्चों का कैंसर कोई लाइलाज बीमारी नहीं है. लेकिन जांच में देरी से कीमती समय बर्बाद हो जाता है. अगर माता-पिता को इसके शुरुआती लक्षणों की जानकारी हो, तो वे जल्दी कदम उठा सकते हैं."
इन शुरुआती लक्षणों पर रखें नज़र
हालांकि, इनमें से कई लक्षण आम बीमारियों में भी देखने को मिलते हैं, लेकिन अगर ये लगातार बने रहें, बार-बार हों या बिना किसी वजह के बढ़ते जाएं, तो डॉक्टर से सलाह लेना बेहद ज़रूरी है.
लगातार बुखार रहना: ऐसा बुखार जो सामान्य देखभाल के बाद भी ठीक न हो, वह सिर्फ़ इन्फेक्शन से ज़्यादा कुछ हो सकता है.
बिना वजह वज़न घटना: सही खान-पान के बावजूद अगर बच्चे का वज़न नहीं बढ़ रहा या घट रहा है, तो यह एक खतरे की घंटी हो सकती है.
शरीर में गांठ या सूजन: गर्दन, बगल, पेट या हाथ-पैर में कोई ऐसी गांठ जो बनी रहे या बढ़ती जाए, उसकी जांच ज़रूर करवानी चाहिए.
बार-बार इन्फेक्शन होना: अगर बच्चे को बार-बार कोई इन्फेक्शन हो रहा है जो जल्दी ठीक नहीं होता, तो यह कमज़ोर इम्यूनिटी का संकेत हो सकता है.
लगातार थकान: बच्चे का हर समय थका-थका रहना और एनर्जी की कमी महसूस करना सामान्य नहीं है.
हड्डियों या जोड़ों में दर्द: बिना किसी चोट के हड्डियों या जोड़ों में दर्द, ख़ासकर रात के समय, एक गंभीर लक्षण हो सकता है जिसे नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए.
आंखों और दिमाग से जुड़ी समस्या: अचानक आंखों की रोशनी में दिक्कत, लगातार सिरदर्द, जी मिचलाना या उल्टी होना किसी बड़ी समस्या का संकेत हो सकता है.
आसानी से ख़ून बहना या चोट के निशान बनना: बार-बार नाक से ख़ून आना, मसूड़ों से ख़ून निकलना या शरीर पर बिना वजह नीले निशान पड़ना.
लिम्फ नोड्स में सूजन: अगर इनमें दर्द नहीं है, लेकिन ये लगातार बने हुए हैं और बढ़ रहे हैं, तो इनकी जांच ज़रूरी है.
सांस लेने में तकलीफ़: बिना किसी ख़ास वजह के लगातार खांसी या सांस लेने में परेशानी होना.
बुखार के साथ रैशेज़: त्वचा पर लाल-बैंगनी दाने (पुरपुरा) या ख़ून के धब्बे दिखना भी खतरे का संकेत हो सकता है.
हर बुखार या गांठ का मतलब कैंसर नहीं होता. लेकिन, अगर कोई भी लक्षण आपको असामान्य लगे और वह समय के साथ ठीक न हो, तो बिना देर किए डॉक्टर से संपर्क करना ही सबसे समझदारी है.