
सुप्रीम कोर्ट में एक मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने यमन में फंसी भारतीय महिला निमिषा प्रिया को लेकर बड़ा बयान दिया है। केंद्र ने कोर्ट को बताया कि निमिषा को यमन में मिली फांसी की सजा को रोकने के लिए सरकार ने अब तक सभी संभावित रास्ते आजमा लिए हैं। अब केवल एक ही विकल्प बचा है, और वह है- "ब्लड मनी" यानी मृतक के परिवार को मुआवजा देकर माफ़ी पाना।
निमिषा प्रिया, जो केरल की रहने वाली हैं, यमन में नर्स का काम कर रही थीं। उन पर एक यमनी नागरिक की हत्या का आरोप लगा, जिसके बाद वहां की अदालत ने उन्हें मौत की सजा सुनाई। इस फैसले के बाद निमिषा की मां और उनके वकीलों ने भारत सरकार से मदद की मांग की थी।
सरकार ने कोर्ट को बताया कि यमन की सरकार से लगातार बातचीत की गई, लेकिन वहां की कानूनी प्रक्रिया के अनुसार, इस मामले में विदेशी सरकार की दखल की सीमाएं हैं। यमन में शरिया कानून लागू है, जिसके तहत मृतक के परिवार को मुआवजा देकर माफी ली जा सकती है। लेकिन इसके लिए उस परिवार की सहमति जरूरी है।
सरकार ने कहा कि यदि निमिषा की जान बचानी है, तो अब यही एक रास्ता बचा है। सरकार की तरफ से यह भी कहा गया कि वे राजनयिक स्तर पर हरसंभव प्रयास कर चुके हैं। कोर्ट में सुनवाई के दौरान न्यायाधीशों ने सरकार से पूछा कि क्या इस मामले में ब्लड मनी की प्रक्रिया शुरू की गई है, तो सरकार ने कहा कि इस दिशा में प्रयास हो रहे हैं और परिवार से संपर्क साधा जा रहा है।
अब कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख तय करते हुए केंद्र सरकार से इस दिशा में आगे की जानकारी देने को कहा है।
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