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Up Kiran, Digital Desk: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन (Champai Soren) ने राज्य की वर्तमान सरकार पर आदिवासियों की जमीन पर अवैध कब्जा करने का गंभीर आरोप लगाया है। सोरेन ने कहा है कि सरकार इस मामले में अपनी जिम्मेदारियों से कतरा रही है और आदिवासियों के अधिकारों का हनन कर रही है।

सरकारी नीतियों पर सवाल, आदिवासियों की भूमि पर 'कब्जे' का आरोप

चंपई सोरेन ने आरोप लगाया है कि झारखंड सरकार आदिवासियों की जमीनें हड़पने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि यह कृत्य न केवल अवैध है, बल्कि आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों का भी घोर उल्लंघन है। पूर्व मुख्यमंत्री ने सरकार से इस मामले में स्पष्टीकरण मांगा है और तत्काल प्रभाव से इस तरह की गतिविधियों पर रोक लगाने की मांग की है।

आदिवासी समुदायों के लिए भूमि का महत्व

झारखंड जैसे राज्य में, जहाँ की एक बड़ी आबादी आदिवासी समुदाय से है, भूमि का सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक महत्व अत्यंत गहरा है। आदिवासियों के लिए उनकी जमीनें केवल आजीविका का स्रोत नहीं, बल्कि उनकी पहचान, संस्कृति और अस्तित्व का आधार हैं। ऐसे में, सरकार द्वारा जमीन पर कथित तौर पर कब्जे के आरोप चिंता का विषय हैं।

जनता की प्रतिक्रिया और राजनीतिक उठापटक

चंपई सोरेन के इस आरोप के बाद झारखंड की राजनीति में गहमागहमी बढ़ गई है। विपक्ष सरकार पर लगातार हमलावर है और आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा की मांग कर रहा है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार इस आरोप का क्या जवाब देती है और आदिवासियों के भूमि अधिकारों की रक्षा के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं।

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