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Champions Trophy: साल 2017 के बाद से चैंपियंस ट्रॉफी अपनी बहुप्रतीक्षित वापसी कर चुकी है। पिछले चैंपियन पाकिस्तान इस बार मेजबान होगा। उद्घाटन मैच में मेजबान देश पाकिस्तान का सामना न्यूजीलैंड से होगा। इस टूर्नामेंट में आठ प्रतिस्पर्धी टीमें शामिल हैं।
कुल 15 मैच होंगे, जिसमें रोमांचक प्रतिस्पर्धा की उम्मीद है। एक भी हार किसी भी टीम को बाहर कर सकती है। चैंपियंस ट्रॉफी के इस नए सीजन के लिए तैयार होने के साथ आइए टूर्नामेंट के इतिहास के सबसे यादगार मैच पर फिर से नज़र डालते हैं।
चैंपियंस ट्रॉफी में कई रोमांचक मुकाबले हुए हैं। हालांकि, भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच मुकाबला न केवल इस टूर्नामेंट में बल्कि पूरे क्रिकेट में एक क्लासिक के रूप में जाना जाता है। टूर्नामेंट के साल 2002 में भारत ने चैंपियनशिप साझा की थी। ये उस वक्त ICC के नियमों के कारण था, क्योंकि बारिश के कारण फाइनल रद्द कर दिया गया था। हालांकि मैच के लिए एक बैकअप दिन था, लेकिन इसे फिर से शुरू करना पड़ा और फिर से बारिश ने खेल को बाधित कर दिया। अन्यथा भारत सीधे उस खिताब को जीत सकता था।
फिर भी भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच सेमीफाइनल मुकाबला यादगार बना हुआ है। भारत ने पहले बैटिंग करते हुए 9 विकेट खोकर 261 रन बनाए। वीरेंद्र सहवाग और युवराज सिंह दोनों ने अर्धशतक जमाए। उस समय ये स्कोर वनडे क्रिकेट में सुरक्षित माना जाता था। हालांकि, दक्षिण अफ्रीका अपने लक्ष्य का पीछा करने में ठोस प्रयास कर रहा था।
सहवाग ने दिखाया था जलवा
स्कोरबोर्ड पर 200 रन थे, उनके पास अभी भी 7 विकेट बचे थे और 9 ओवर बाकी थे! इस महत्वपूर्ण मोड़ पर भारत के कप्तान सौरव गांगुली ने एक साहसी रणनीति अपनाई। उन्होंने तेज गेंदबाजों को दरकिनार करते हुए पार्ट-टाइम स्पिनर वीरेंद्र सहवाग को गेंदबाजी करने के लिए बुलाया। सहवाग ने जल्दी ही मार्क बाउचर, जैक्स कैलिस और लांस क्लूजनर के विकेट ले लिए। इस स्पिन की बदौलत भारत ने शानदार जीत के साथ फाइनल में अपनी जगह पक्की कर ली।