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Up Kiran, Digital Desk: उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले के एक छोटे से गाँव से निकलकर गौतम राठौर ने जो सफलता हासिल की है, वह कई युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है. एक साधारण किसान परिवार से आने वाले गौतम ने अपनी लगन और मेहनत के दम पर एक अमेरिकी मल्टीनेशनल कंपनी (MNC) में 42 लाख रुपये सालाना के शानदार पैकेज पर नौकरी हासिल की है. उनकी यह उपलब्धि दर्शाती है कि दृढ़ संकल्प और सही दिशा में की गई मेहनत से किसी भी मुश्किल को पार किया जा सकता है.

गौतम का बचपन आर्थिक तंगी में बीता. उनके पिता, सुरेंद्र राठौर, एक किसान हैं, जिनकी आय बहुत सीमित थी. ऐसे में गौतम के लिए अच्छी शिक्षा प्राप्त करना किसी चुनौती से कम नहीं था. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गाँव के ही एक सरकारी स्कूल से प्राप्त की, जहाँ संसाधनों की कमी थी. इसके बावजूद, गौतम ने कभी हार नहीं मानी और अपनी पढ़ाई पर पूरा ध्यान दिया. उन्होंने बिना किसी कोचिंग के खुद से ही इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी की.

साल 2017 में, गौतम ने अपनी कड़ी मेहनत के बल पर जेईई मेन्स (JEE Mains) की परीक्षा क्रैक की और आईआईटी बीएचयू (IIT BHU), वाराणसी जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में केमिकल इंजीनियरिंग में दाखिला लेने में सफल रहे. यह उनके और उनके परिवार के लिए एक बड़ा मील का पत्थर था. आईआईटी में रहते हुए, उन्होंने न केवल अपनी पढ़ाई पर ध्यान दिया, बल्कि कॉर्पोरेट जगत की जरूरतों को भी समझा. तीसरे वर्ष से ही उन्होंने नौकरी के लिए तैयारी शुरू कर दी थी.

गौतम ने विशेष रूप से कोडिंग, डेटा स्ट्रक्चर्स और एल्गोरिथम पर अपनी पकड़ मजबूत की, जो आज की तकनीकी कंपनियों में सफलता के लिए अत्यंत आवश्यक है. उनकी कड़ी मेहनत रंग लाई और उन्हें दो बड़ी कंपनियों से नौकरी के प्रस्ताव मिले. उन्होंने अमेरिकी MNC के 42 लाख रुपये के सालाना पैकेज के प्रस्ताव को स्वीकार किया. यह उनके परिवार में पहली नौकरी है, जिसने उनके जीवन को पूरी तरह बदल दिया है.

अपनी सफलता का श्रेय गौतम अपनी कड़ी मेहनत, स्मार्ट वर्क और निरंतरता को देते हैं. उनका कहना है कि कभी भी हार नहीं माननी चाहिए, चाहे परिस्थितियां कितनी भी कठिन क्यों न हों. गौतम राठौर की यह कहानी साबित करती है कि छोटे शहरों और ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाले युवा भी बड़े सपने देख सकते हैं और उन्हें पूरा करने की क्षमता रखते हैं.

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