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Up Kiran, Digital Desk: अब सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने आए मरीजों को बिना ठोस कारण रेफर करने की व्यवस्था पर रोक लगने वाली है। इससे उन मरीजों को राहत मिलेगी जिन्हें छोटी-मोटी दिक्कतों पर बड़े अस्पतालों की ओर भेज दिया जाता है। प्रदेश सरकार इस व्यवस्था को और जवाबदेह बनाने के लिए एक नई कार्यप्रणाली लागू करने जा रही है।

स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने सोमवार को सचिवालय में आयोजित एक बैठक में सभी मुख्य चिकित्साधिकारियों (सीएमओ) और प्रमुख चिकित्सा अधीक्षकों (सीएमएस) के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश के बाद यह कदम उठाया गया है ताकि सरकारी अस्पतालों में मरीजों के हितों की रक्षा की जा सके।

स्वास्थ्य सचिव ने स्पष्ट किया कि अब हर रेफर केस पर संबंधित अधिकारी की जवाबदेही तय होगी। रेफर करने से पहले सीएमएस को अपने हस्ताक्षर के साथ ठोस वजह देनी होगी। कोई अस्पष्ट कारण या सुविधा की कमी दिखाकर मरीजों को दूसरे अस्पताल भेजने की अनुमति नहीं होगी। यदि ऐसा किया गया, तो संबंधित अधिकारी पर कार्रवाई तय है।

स्वास्थ्य विभाग जल्द ही एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी करेगा, जिसमें रेफर की प्रक्रिया को लेकर सभी नियम स्पष्ट होंगे। इस नई व्यवस्था से जहां मरीजों की जान से खिलवाड़ पर रोक लगेगी, वहीं सरकारी अस्पतालों में संसाधनों के बेहतर उपयोग की दिशा में भी यह एक बड़ा कदम होगा।

बैठक में मौजूद वरिष्ठ अधिकारियों महानिदेशक सुनीता टम्टा, निदेशक डॉ. शिखा जंगपागी, डॉ. सीपी त्रिपाठी और अनुसचिव अनूप मिश्रा—ने भी इस योजना को प्रभावी ढंग से लागू करने की बात कही।

पीजी डॉक्टरों पर कार्रवाई की तैयारी

बैठक के दौरान एक और अहम मुद्दा उठा तबादले के बाद भी काम पर न लौटे पीजी डिग्रीधारी डॉक्टरों की उदासीनता। डॉ. कुमार ने बताया कि 13 जून को विशेषज्ञ डॉक्टरों का तबादला किया गया था, लेकिन कई डॉक्टरों ने अब तक नई तैनाती वाली जगहों पर जॉइन नहीं किया है। ऐसे डॉक्टरों को जल्द ही कारण बताओ नोटिस भेजा जाएगा और जरूरत पड़ी तो अनुशासनात्मक कदम भी उठाए जाएंगे। सरकार ने स्पष्ट किया है कि सेवा शर्तों की अनदेखी को किसी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

एंबुलेंस न मिले तो स्थानीय साधनों से हो मरीज की मदद

आपात स्थितियों में मरीजों को समय पर एंबुलेंस सेवा नहीं मिल पाने की स्थिति में स्थानीय स्वास्थ्य केंद्रों को वैकल्पिक व्यवस्था तैयार रखने को कहा गया है। 108 या विभागीय एंबुलेंस अनुपलब्ध होने की दशा में स्थानीय अस्पतालों को तुरंत किसी भी उपलब्ध संसाधन से मरीज को उपचार केंद्र तक पहुंचाना होगा। इसके लिए एक स्थानीय एंबुलेंस नेटवर्क और संसाधनों की सूची पहले से तैयार रखने के निर्देश दिए गए हैं।

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