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Up Kiran, Digital Desk: हैदराबाद की ऐतिहासिक धरोहर, चारमीनार, 2025 में आयोजित होने वाले 'बीबी का आलम' (Bibi Ka Alam) जुलूस के लिए एक प्रतीकात्मक स्थल के रूप में चुना गया है। यह निर्णय न केवल इस वार्षिक धार्मिक जुलूस को एक नया महत्व प्रदान करता है, बल्कि शहर में विभिन्न समुदायों के बीच 'एकता के नए युग' का भी प्रतीक बन रहा है। यह घोषणा हैदराबाद के सांस्कृतिक और धार्मिक सद्भाव की भावना को रेखांकित करती है।

बीबी का आलम' हैदराबाद में मुहर्रम के महीने में आयोजित किया जाने वाला एक अत्यंत महत्वपूर्ण और पवित्र जुलूस है। यह पैगंबर मोहम्मद की बेटी फातिमा के शोक में निकाला जाता है और इसमें एक सजी हुई 'आलम' (ध्वज) होती है, जिसे ऐतिहासिक रूप से हाथी पर ले जाया जाता है। यह जुलूस शहर की गंगा-जमुनी तहज़ीब का एक अहम हिस्सा रहा है।

चारमीनार को प्रतीकात्मक स्थल के रूप में चुनने का फैसला इस जुलूस को एक अद्वितीय ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि प्रदान करेगा। चारमीनार स्वयं हैदराबाद की पहचान है और यह विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों के संगम का प्रतीक है। इस ऐतिहासिक स्थान से जुलूस का गुजरना या इसका वहां से संबंधित होना निश्चित रूप से इस आयोजन के महत्व को बढ़ाएगा और बड़ी संख्या में लोगों को आकर्षित करेगा।

आयोजकों और स्थानीय अधिकारियों ने इस बात पर जोर दिया है कि यह निर्णय शहर में धार्मिक एकता और सद्भाव को मजबूत करेगा। यह दर्शाता है कि ऐतिहासिक स्थलों का उपयोग न केवल पर्यटन के लिए, बल्कि सामुदायिक एकजुटता और साझा सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने के लिए भी किया जा सकता है। 2025 का बीबी का आलम जुलूस चारमीनार के साये में एकता और शांति का एक मजबूत संदेश देगा।

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