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बलरामपुर (उत्तर प्रदेश) — अवैध निर्माण और धर्मांतरण के गंभीर आरोपों से घिरे जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा की महंगी दौलत पर प्रशासन की कार्रवाई तेज हो गई है। तीन बीघा सरकारी जमीन पर बनी उसकी कोठी को विधिसम्मत ध्वस्त करने के बाद अब प्रशासन ने इसके बिगड़े खर्च की भरपाई के लिए लगभग ₹8,55,000 छांगुर बाबा से वसूलने का आदेश जारी किया है।

पहले, प्रशासन ने बुधवार तक लगभग 20 कमरे और एक विशाल हॉल को बुलडोजर से खंडहर में बदला था। कार्रवाई के दौरान कोठी में विदेशी नस्ल के घोड़े, जर्मन शेफर्ड कुत्ते, जर्सी गायें, सीसीटीवी नेटवर्क, निजी पावर बैकअप और ब्रिज निर्माण जैसे मजबूत सिरे वाला कंक्रीट पाया गया  । दीवारों में 10–15 मिमी तक के सरिए लगे पाए गए, जो आम घरों से कहीं मजबूत थे।

अवैध कब्जे और निर्माण के मसले पर प्रशासन ने मई-जून 2025 में कई नोटिस दिए, लेकिन जवाब नहीं मिलने पर ऑपरेशन शुरू किया गया  । इसके बाद रविवार से लगातार तीन दिन तक आठ बुलडोजर चले और अवैध अतिक्रमण जमींदोज हुआ।

अब प्रशासन ने स्थान खाली कराने और ध्वस्तीकरण का कुल खर्च ₹8,55,000 आंका है। इस राशि को सरकारी कोष में जमा कराने के निर्देश छांगुर बाबा को दिए गए हैं। यह कदम सरकार की उन शर्तों के अनुरूप है, जिनके तहत अवैध निर्माण पर खड़े होने वालों को खुद लागत वहन करनी होती है।

उत्तर प्रदेश एटीएस ने छांगुर बाबा और उसकी करीबी सहयोगी नीतू उर्फ नसरीन को लखनऊ के होटल से गिरफ्तार किया था, जहां वे करीब 80 दिन छिपे रहे  । मामला अवैध धर्मांतरण रैकेट से जुड़ा दिखता है, जिसमें विदेशी फंडिंग और लाखों रुपये का लेन-देन शामिल पाया गया है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने “अवैध धर्मांतरण और जमीन कब्जे” जैसे गंभीर अपराधों पर राज्य सरकार की मुकम्मल सख्ती का समर्थन किया है  । अब छांगुर बाबा को न केवल रिहाइशी से वंचित रहना पड़ सकता है, बल्कि भारी आर्थिक भार और कानूनी मुकदमों से भी जूझना होगा।

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