Up Kiran, Digital Desk: हाल के वर्षों में भारत और चीन के बीच रणनीतिक प्रतिस्पर्धा और सैन्य तनाव ने वैश्विक मंच पर विशेष ध्यान आकर्षित किया है। ऐसे समय में जब चीन खुद को सैन्य तकनीक के क्षेत्र में अग्रणी बताता है, भारत की सशक्त और सूझबूझ भरी रणनीति ने उसकी कई तकनीकी दावों की हकीकत उजागर कर दी है।
भारतीय रक्षा विशेषज्ञों और सैन्य अभ्यासों के आधार पर यह सामने आया है कि चीन द्वारा प्रचारित कई आधुनिक हथियारों और उपकरणों की वास्तविक कार्यक्षमता उनकी कथित क्षमता से काफी कम है। हाल ही में सीमावर्ती क्षेत्रों में भारतीय सेना द्वारा की गई निगरानी और आंकलन में यह बात स्पष्ट हुई कि चीन के कई ड्रोन, रडार सिस्टम और मिसाइल तकनीक व्यवहारिक परिस्थितियों में उस स्तर पर प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं जैसा दावा किया गया था।
भारत ने न केवल अपने रक्षा तंत्र को मजबूत किया है, बल्कि स्वदेशी तकनीक और आधुनिक उपकरणों के माध्यम से अपनी सैन्य क्षमता को भी तेज़ी से बढ़ाया है। ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत विकसित हो रहे हथियार और सुरक्षा प्रणालियाँ अब चीनी विकल्पों को पीछे छोड़ने लगी हैं।
सैन्य विश्लेषकों का मानना है कि भारत की यह तकनीकी और रणनीतिक सफलता सिर्फ एक जवाबी कदम नहीं, बल्कि दीर्घकालिक आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा संकेत है। इसके अलावा, भारतीय सेना की सक्रिय तैनाती और स्मार्ट निगरानी प्रणाली ने यह सिद्ध कर दिया कि सिर्फ संख्या नहीं, बल्कि गुणवत्ता और संकल्प भी निर्णायक होते हैं।
यह घटनाक्रम केवल एक सैन्य पहलू नहीं है, बल्कि यह भारत की वैश्विक छवि और आत्मनिर्भर रक्षा नीति की भी पुष्टि करता है।
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