
Up Kiran, Digital Desk: बेंगलुरु के एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम में हाल ही में हुई भगदड़ की घटना एक चौंकाने वाली और गंभीर याद दिलाती है कि सार्वजनिक उपयोग के लिए बने स्थानों को किसी की 'निजी जागीर' (private fiefdom) के तौर पर नहीं चलाया जा सकता, जहाँ सार्वजनिक सुरक्षा की अनदेखी की जाए। यह घटना इस बात पर ज़ोर देती है कि ऐसे स्थानों पर भीड़ प्रबंधन (crowd management) और सुरक्षा उपायों का कितना महत्व है।
स्टेडियम जैसे स्थान बड़ी संख्या में लोगों के इकट्ठा होने के लिए डिज़ाइन किए जाते हैं, चाहे वह खेल आयोजन हो, संगीत समारोह हो या कोई अन्य कार्यक्रम। इन जगहों को इस तरह से प्रबंधित किया जाना चाहिए जहाँ हर हाल में दर्शकों और आगंतुकों की सुरक्षा सर्वोपरि हो। टिकट बिक्री, प्रवेश/निकास व्यवस्था, भीड़ का नियंत्रण और आपातकालीन प्रक्रियाओं की योजना इस तरह से बनाई जानी चाहिए कि भगदड़ या किसी अन्य दुर्घटना का खतरा न्यूनतम हो।
चिन्नास्वामी स्टेडियम की घटना इस बात का दुखद उदाहरण है कि कैसे खराब योजना, अपर्याप्त सुरक्षा उपाय, या शायद लाभ को सुरक्षा से ऊपर रखने की मानसिकता विनाशकारी परिणाम दे सकती है। जब सार्वजनिक स्थानों को केवल राजस्व उत्पन्न करने के माध्यम के रूप में देखा जाता है और उचित प्रबंधन और सुरक्षा प्रोटोकॉल में निवेश नहीं किया जाता, तो इस तरह की दुर्घटनाएं होने की संभावना बढ़ जाती है।
यह घटना संबंधित अधिकारियों, आयोजनकर्ताओं और प्रबंधन निकायों के लिए एक वेक-अप कॉल होनी चाहिए। उन्हें यह समझना होगा कि सार्वजनिक स्थलों की जिम्मेदारी बहुत बड़ी होती है। इन जगहों का प्रबंधन पारदर्शिता, जवाबदेही और सार्वजनिक सुरक्षा के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के साथ किया जाना चाहिए।
चिन्नास्वामी स्टेडियम की भगदड़ सिर्फ एक दुर्घटना नहीं थी; यह एक भयावह चेतावनी है कि जब हम सार्वजनिक स्थानों को निजी नियंत्रण में देते हैं और सुरक्षा को प्राथमिकता नहीं देते, तो इसके परिणाम कितने गंभीर हो सकते हैं। सार्वजनिक सुरक्षा कोई बातचीत का मुद्दा नहीं हो सकती, खासकर उन जगहों पर जहाँ हजारों लोगों की जान दांव पर लगी होती है।
--Advertisement--