_1062668185.png)
Up Kiran , Digital Desk: बिहार की राजनीति में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष और केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री चिराग पासवान ने सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात कर राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं को और गर्मा दिया। हाल के दिनों में राज्य में उनके सक्रिय होने की अटकलों के बीच चिराग ने यह साफ किया कि वे बिहार में मुख्यमंत्री पद के दावेदार नहीं हैं, मगर उनकी राज्य में सक्रिय भूमिका निभाने की मंशा मजबूत है।
बिहार में सीएम की कोई वैकेंसी नहीं है- चिराग
नीतीश कुमार से मुलाकात के बाद मीडिया से बात करते हुए चिराग पासवान ने कहा, “बिहार में मुख्यमंत्री पद की कोई वैकेंसी नहीं है। मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हमारे एनडीए गठबंधन का नेतृत्व कर रहे हैं और मुझे पूरा विश्वास है कि चुनाव परिणामों के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच वाली सरकार, एक मजबूत एनडीए की सरकार बनेगी, जिसका नेतृत्व नीतीश कुमार करेंगे।”
यह बयान उस समय आया है जब विपक्ष लगातार एनडीए में नेतृत्व को लेकर असमंजस की बात कर रहा था। चिराग के इस स्पष्ट समर्थन से न केवल नीतीश कुमार को मजबूती मिली है, बल्कि एनडीए के भीतर एकजुटता का संकेत भी गया है।
बिहार वापसी की खुली घोषणा
नीतीश कुमार से मुलाकात के बाद चिराग पासवान अपने मंत्रालय के एक कार्यक्रम में भी पहुंचे, जहां उन्होंने पहली बार सार्वजनिक रूप से बिहार की राजनीति में सक्रिय होने की मंशा जताई। चिराग ने कहा, “मैं बिहारी पहले हूं। राजनीति में आने का कारण भी बिहार और बिहारी रहे हैं। मैंने देखा है कि किन कठिन परिस्थितियों में बिहारियों को जूझना पड़ता है... अब मैं खुलकर अपनी मंशा सामने रख रहा हूं कि जल्द बिहार आना चाहता हूं और मैं आऊंगा।”
राजनीति की पिच पर उतरने की तैयारी
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चिराग पासवान इस बार अपने राजनीतिक कॅरियर का नया अध्याय लिखने की तैयारी में हैं। अपने दिवंगत पिता रामविलास पासवान की विरासत को आगे बढ़ाते हुए वे एक बार फिर बिहार की ज़मीन पर उतरना चाहते हैं — शायद इस बार अकेले नहीं, बल्कि एनडीए के एक भरोसेमंद चेहरे के रूप में।
पिछले विधानसभा चुनावों में एलजेपी का प्रदर्शन उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाया था, मगर उसके बावजूद चिराग ने खुद को "मोदी का हनुमान" कहकर भाजपा के एजेंडे का समर्थन किया था। अब जबकि बिहार में राजनीतिक समीकरण फिर से बनते-बिगड़ते दिख रहे हैं, चिराग पासवान की ‘वापसी’ एक अहम मोड़ साबित हो सकती है।
--Advertisement--