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लोकसभा इलेक्शन के आखिरी चरण में एक जून को पंजाब की सभी 13 लोकसभा सीटों पर मतदान होगा। इस समय पंजाब में चार पार्टियां लड़ रही हैं। पंजाब में किसी भी राजनीतिक दल ने गठबंधन नहीं किया है। आप, अकाली दल, बीजेपी, कांग्रेस और बीएसपी ने हर सीट पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत के बाद आप की प्रतिष्ठा दांव पर है, वहीं बीजेपी को मोदी मैजिक की उम्मीद है।

पंजाब में स्थानीय मुद्दे राष्ट्रीय मुद्दों से पीछे चले गये हैं। लोग पंजाब राज्य का विकास चाहते हैं। बड़े शहरों में आईटी हब, एम्स जैसे बड़े अस्पताल समेत कई मुद्दों पर चर्चा हुई है। कई वोटर कह रहे हैं कि जीएसटी आने के बाद से कारोबार करना मुश्किल हो गया है।

राज्य में असंतुष्ट किसान बीजेपी को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा सकते हैं। राज्य में करीब 22 लाख छोटे-बड़े किसान परिवार हैं। सभी पार्टियों ने किसानों के लिए अलग-अलग घोषणाएं की हैं। कोई भी पार्टी उनकी नाराजगी झेलने का जोखिम लेती नजर नहीं आ रही है। किसान आंदोलन का ग्रामीण इलाकों में काफी असर है।

किसानों को अलगाववादी कहना यहां दिलचस्प नहीं लगता क्योंकि हर घर से एक जवान भारतीय सेना में है। ऐसे में देखने वाली बात होगी कि ग्रामीण इलाकों में मतदाता किसके पक्ष में हैं। सत्तारूढ़ आप और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर है।

हालांकि अकाली दल एक कट्टर वोटर है, लेकिन यहां हुई कई घटनाओं से अकाली दल से मोह खत्म हो गया है। अकाली दल बीजेपी के वोटों पर सेंध लगा सकता है।
 

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